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कक्षा 10 विज्ञान | अध्याय 1 – जीवों का विकास। jivo ka vikash। (पूरा अध्याय प्रश्नोत्तर सहित)

यह शैक्षणिक कवर इमेज कक्षा 10 विज्ञान के अध्याय 1 "जीवों का विकास" को दर्शाती है, जिसमें नीले और हरे रंग की पृष्ठभूमि पर शीर्षक लिखा है — कक्षा 10 विज्ञान, अध्याय 1: जीवों का विकास, और नीचे Gyaan247.com लिखा हुआ है।


 कक्षा 10 विज्ञान 

अध्याय 1

जीवों का विकास 


अभ्यास


प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर लिखिए-

(i) पालतू कुत्तों की आधुनिकतम नस्ल किस प्रक्रिया के फलस्वरूप बनी है-  

(अ) प्राकृतिक चयन 

(ब) कृत्रिम चयन 

(स) यौवन चयन 

(द) कार्य चयन

उत्तर- (ब) कृत्रिम चयन 


(ii) कुत्ते व भेड़ के अग्रपाद चलने, व्हेल के अग्रपाद तैरने और चमगादड़ के अग्रपाद उड़ने के लिये है, ये किसके उदाहरण है-

(अ) समवृत्ति अंग 

(ब) समजात अंग 

(स) अविकसित अंग 

(द) इनमें से सभी

उत्तर- (ब) समजात अंग 


(iii) निम्नलिखित में से कौन-सी समवृत्ति संरचनाएँ हैं- 

(अ) चमगादड़ के पंख और तितली के पंख 

(ब) प्रॉन के गिल और मछली के गलफड़े 

(स) कुकुरबिटा के कांटे और लौकी के तंतु 

(द) चमगादड़ के पंख और घोड़े के पैर

उत्तर- (अ) चमगादड़ के पंख और तितली के पंख 


(iv) डार्विन का सिद्धांत आधारित है –

(अ) अपनी यात्रा के दौरान दिए गए अवलोकनों से 

(ब) कोशिका सिद्धान्त से

(स) मेण्डल के वंशागति के नियम से 

(द) इनमें से कोई नहीं।

उत्तर- (अ) अपनी यात्रा के दौरान दिए गए अवलोकनों से 


प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. जीवों का वह समूह जो आपस में लैंगिक प्रजनन कर सकें जैविक प्रजाति कहलाता है I

2. फिंचो के चोच में अंतर, उनमें पाई जाने वाली सजातीय लक्षण को दर्शाता है।

3. कुछ जीवाणु स्ट्रेप्टोमाइसिन (एन्टिबायोटिक) युक्त माध्यम में पनपने में समर्थ होते हैं, इसका कारण विभिन्नता या विविधता है ।




प्रश्न 3.हमारे शरीर के अन्दर विशेषकर हमारी आँतों में कई जीवाणु पाये जाते हैं। यह लगभग हर 20 मिनट में प्रजनन करते हैं। प्रजनन के दौरान विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ती है जिनसे इनकी आबादी में काफी विभिन्नताएँ पाई जाती है। इस प्रकार इनमें बहुत जल्दी विकास होता है। एन्टिबायोटिक दवाइयों से जीवाणुओं की कई प्रजातियां खत्म हो जाती है पर विभिन्नताओं के कारण कोई न कोई प्रजाति बच जाती है जिन पर एन्टिबायोटिक का कोई असर नहीं हुआ हो। इनकी आबादी बढ़ने से ये एन्टिबायोटिक प्रतिरोधक बन जाते हैं। 

इस जानकारी की मदद से निम्नलिखित सवालों का उत्तर दीजिए-



(क) ‘जीवाणुओं का विकास प्राकृतिक चयन द्वारा होता है।’ इस कथन की पुष्टि कीजिए।

उत्तर- प्राकृतिक चयन का अर्थ है — ऐसी प्रक्रिया जिसमें प्रकृति उन्हीं जीवों को जीवित रखती है जिनमें वातावरण के अनुसार अनुकूल गुण होते हैं,जबकि कमज़ोर या अनुकूल न हो पाने वाले जीव नष्ट हो जाते हैं।जीवाणु बहुत तेज़ी से प्रजनन करते हैं और उनके वंश में छोटे-छोटे आनुवंशिक परिवर्तन (विविधताएँ) होते रहते हैं।जब उन पर एंटीबायोटिक दवाएँ डाली जाती हैं, तो सामान्य जीवाणु मर जाते हैं,लेकिन जिन जीवाणुओं में एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधक गुण होता है, वे जीवित रहते हैं और तेजी से बढ़ते हैं।धीरे-धीरे ऐसे प्रतिरोधी जीवाणुओं की संख्या बढ़ जाती है और पूरी आबादी दवा के प्रति प्रतिरोधक बन जाती है। इस प्रकार, केवल वही जीवाणु आगे जीवित रहते हैं जो वातावरण के अनुसार अपने आप को ढाल लेते हैं,इसलिए कहा जाता है कि जीवाणुओं का विकास प्राकृतिक चयन द्वारा हुआ है।


(ख) किस प्रक्रिया के दौरान विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं?

उत्तर- विभिन्नताएँ मुख्य रूप से लैंगिक प्रजनन (Sexual Reproduction) की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होती हैं,क्योंकि इस प्रक्रिया में आनुवंशिक पदार्थ (DNA) का पुनर्संयोजन (recombination) होता है। माता-पिता दोनों से प्राप्त जीन मिलकर नई संतान में नए लक्षण और विभिन्नताएँ उत्पन्न करते हैं।


(ग) विकास में विभिन्नताओं की क्या भूमिका है ?

उत्तर- विकास की प्रक्रिया में विभिन्नताओं (variations) की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।सभी जीवों में पाई जाने वाली विभिन्नताएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुँचती रहती हैं।इन विभिन्नताओं के कारण संतान पीढ़ी, धीरे-धीरे जनक पीढ़ी से अलग होती जाती है और कभी-कभी एक नई प्रजाति का रूप ले लेती है।प्रजातियों का विकास, पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली ऐसी ही विभिन्नताओं से होता है।कुछ विभिन्नताएँ वातावरण के अनुसार लाभदायक सिद्ध होती हैं,जिससे जीवों की संख्या और अनुकूलन क्षमता दोनों बढ़ती हैं।इसी कारण जीवों में निरंतर बदलाव और विकास होता रहता है।


(घ)‘विकास की प्रक्रिया धीमी भी हो सकती है और जल्दी भी I’ इस कथन के अनुसार धीमी और तेज गति से होने वाले विकास का एक-एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर- 1. धीमी गति से होने वाला विकास- लंबे समय में होने वाला परिवर्तन, जैसे — कपि (बंदर) के समान पूर्वज से मानव का विकास। यह प्रक्रिया लाखों वर्षों में धीरे-धीरे हुई।

2. तेज़ गति से होने वाला विकास- कम समय में जल्दी होने वाला परिवर्तन, जैसे — एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीवाणुओं का विकास। यह कुछ वर्षों में ही हुआ जब जीवाणु दवाओं के प्रति प्रतिरोधी बन गए।


(ङ) क्या जीवाणुओं की ज्यादा अनुकूलित प्रजाति , एंटीबायोटिक प्रतिरोधक बन जाती है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर- जीवाणुओं की अधिक अनुकूलित प्रजातियाँ एंटीबायोटिक प्रतिरोधक बन जाती हैं। कुछ जीवाणु अपने वातावरण के अनुसार अपने शरीर में ऐसे परिवर्तन कर लेते हैं,जिनसे एंटीबायोटिक दवाओं का उन पर कोई असर नहीं होता।ये जीवाणु जीवित रहकर आगे प्रजनन करते हैं और अपनी प्रतिरोधक क्षमता अगली पीढ़ियों में पहुँचा देते हैं।धीरे-धीरे उनकी पूरी आबादी दवा के प्रति प्रतिरोधक (resistant) बन जाती है।


प्रश्न 4. कृत्रिम और प्राकृतिक चयन में दो अंतर लिखिए।

उत्तर-

क्रमांक कृत्रिम चयन (Artificial Selection) प्राकृतिक चयन (Natural Selection)
1. मनुष्य द्वारा किया जाता है — मनचाही विशेषताएँ प्राप्त करने के लिए जीवों का चयन। प्रकृति द्वारा स्वतः होता है — केवल योग्य जीव ही जीवित रहते हैं।
2. गति तेज होती है क्योंकि मानव सीधे हस्तक्षेप करता है। गति धीमी होती है क्योंकि परिवर्तन कई पीढ़ियों में होता है।
उदाहरण संकर (Hybrid) फसलें या नई नस्लें — जैसे उच्च उपज वाला चावल। जिराफ की लंबी गर्दन या DDT प्रतिरोधी मच्छर।


प्रश्न 5. डार्विन और वैलेस द्वारा प्रतिपादित जीवों का विकास के सिद्धांत से हमें क्या पता चलता है ?

उत्तर- डार्विन और वैलेस द्वारा प्रतिपादित जीवों के विकास के सिद्धांत से हमें यह पता चलता है कि
जीव जातियों की उत्पत्ति और उनका विकास किस प्रकार हुआ है।
उन्होंने बताया कि जीवों का विकास प्राकृतिक चयन (Natural Selection) की प्रक्रिया से होता है।

मुख्य बिंदु  —

1. जो जीव अपने वातावरण के अनुसार स्वयं को अनुकूल नहीं बना पाते, वे धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं, जबकि अनुकूलित जीव जीवित रहते हैं और आगे की पीढ़ियाँ बनाते हैं।

2. नई प्रजातियाँ पुरानी प्रजातियों से प्राकृतिक चयन के माध्यम से बनती रहती हैं।

3. सभी जीवों में विविधता और विभिन्नताएँ पाई जाती हैं,
जिनके कारण उनकी आबादी में धीरे-धीरे बदलाव और विकास होता रहता है।

4. ये विभिन्नताएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचती हैं,
जिससे संतान पीढ़ी धीरे-धीरे अपने जनक (मूल) पीढ़ी से भिन्न होती जाती है।

प्रश्न 6. जीवों के विकास के सिद्धांत का मुख्य बिंदु क्या है ?
उत्तर- जीवों के विकास के सिद्धांत के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं —

1. सभी जीवों में विविधता और विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। हर जीव किसी न किसी रूप में दूसरे से थोड़ा अलग होता है।

2. विभिन्न जीवों की उत्पत्ति समान पूर्वजों से हुई है। यानी सभी प्रजातियाँ किसी न किसी सामान्य पूर्वज से विकसित हुई हैं।

3. नई प्रजातियाँ अचानक नहीं बनतीं, बल्कि पहले से मौजूद प्रजातियों में धीरे-धीरे बदलाव होकर बनती हैं।

4. हर आबादी में विभिन्नताएँ होती हैं, लेकिन केवल कुछ उपयोगी विभिन्नताएँ ही अगली पीढ़ी तक पहुँचती हैं।

5. हर जीव अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए कुछ विशेष लक्षण रखता है, जो उसे वातावरण के अनुसार जीवित रहने में मदद करते हैं।

6. लाभदायक विभिन्नताओं का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इन्हीं के कारण जीव वातावरण में सफलतापूर्वक जीवित रह पाते हैं।

प्रश्न 7. जीवों के विकास में चयन और अनुकूलन की क्या भूमिका है ?
उत्तर- जीवों के विकास में चयन (Selection) और अनुकूलन (Adaptation) की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है,क्योंकि इन्हीं दोनों प्रक्रियाओं से जीवों का निरंतर विकास संभव हुआ है।
प्राकृतिक चयन के अनुसार, वे जीव जो अपने वातावरण के अनुसार स्वयं को अनुकूल नहीं बना पाते,
वे धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं।
जबकि जो जीव वातावरण के अनुसार अनुकूलन कर लेते हैं,
वे जीवित रहते हैं और अपनी संतान उत्पन्न करके नई प्रजातियाँ बनाते हैं।

उदाहरण-
1. प्राकृतिक चयन के कारण ही DDT प्रतिरोधी मच्छरों का विकास हुआ।

2. विभिन्न वातावरणों में रहने वाले पक्षियों की चोंच और पंजों में उनके भोजन और रहन-सहन के अनुसार अनुकूलन देखा जाता है। बड़े मैदान में रहने वाली फिंच शाकाहारी फिंच बीज खाने वाले फिंच 

प्रश्न 8. चित्र देखकर बताइए कि यह सजातीय या समवृत्ति लक्षण दर्शा रहा है। अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
यह चित्र घटपर्णी, मटर, बोगनविला और कैक्टस पौधों के पत्तों को दर्शाता है। घटपर्णी और मटर के प्रतान समवृत्ति लक्षण हैं क्योंकि उनका कार्य समान लेकिन बनावट अलग है, जबकि बोगनविला और कैक्टस के काँटे सजातीय लक्षण हैं क्योंकि उनकी उत्पत्ति समान है पर कार्य भिन्न है।
उत्तर-
घटपर्णी (Gloriosa) और मटर (Pea) के प्रतान समवृत्ति लक्षण (Analogous Traits) दर्शाते हैं,
क्योंकि दोनों के आकार और बनावट अलग-अलग होते हुए भी उनका कार्य समान (सहारा देना) है।

वहीं बोगनविलिया (Bougainvillea) और कैक्टस (Cactus) के काँटे सजातीय लक्षण (Homologous Traits) दर्शाते हैं,
क्योंकि दोनों की मूल संरचना और उत्पत्ति समान है,
परंतु उनका कार्य अलग-अलग है —
एक में काँटे रक्षा के लिए हैं और दूसरे में जल-संरक्षण के लिए।


प्रश्न 9. 
स्तनधारियों का शाखित वंश वृक्ष जिसमें मनुष्य, चिम्पांजी, बंदर, कुत्ता और गाय के विकास का संबंध दर्शाया गया है — कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 1 जीवों का विकास”

(i) स्तनधारियों के इस शाखित पेड़ को देखकर बताइए कि कौन-सा जन्तु मनुष्य के सबसे निकट संबंधी है? 
(ii) इस चित्र के अनुसार-
(अ) कोई दो जन्तुओं के नाम लिखिए जिनमें सम्बन्ध कम-से-कम हों।
(ब) कोई दो जन्तुओं के नाम लिखिए जिनमें सबसे ज्यादा सम्बन्ध हों।  
(iii) इस चित्र से इन जन्तुओं के विकास के बारे में अपनी समझ को विस्तार से लिखिए।


उत्तर – 
(i) इस चित्र के अनुसार मनुष्य का सबसे निकट संबंधी चिम्पांजी है।

(ii)
(अ) मनुष्य और घोड़ा — इन दोनों में संबंध सबसे कम है।
(ब) मनुष्य और चिम्पांजी — इन दोनों में संबंध सबसे अधिक है।

(iii) इस चित्र से यह स्पष्ट होता है कि सभी स्तनधारी जीवों का एक समान पूर्वज रहा है।
समय के साथ उनमें विभिन्नताएँ (variations) उत्पन्न हुईं,
जिससे अलग-अलग प्रजातियाँ विकसित हुईं।

• सभी जीवों में विविधता पाई जाती है।
• नई प्रजातियाँ पहले से मौजूद प्रजातियों से ही बनती हैं।
• सभी स्तनधारी एक समान पूर्वज से विकसित हुए हैं।
• पीढ़ी-दर-पीढ़ी में ये विभिन्नताएँ आगे बढ़ती गईं।
• हर जीव अपने अस्तित्व के लिए कुछ विशेष गुणों को बनाए रखता है।
• लाभदायक विभिन्नताएँ ही विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।






कक्षा 10 विज्ञान

अध्याय 1 जीवों का विकास (Short Notes)

Revision Sheet

1️⃣ विकास (Evolution) क्या है?

समय के साथ जीवों में धीरे-धीरे होने वाले बदलावों को विकास कहते हैं। इन बदलावों से नई प्रजातियाँ बनती हैं।

2️⃣ प्राकृतिक चयन (Natural Selection)

प्रकृति उन्हीं जीवों को जीवित रखती है जिनमें अनुकूल गुण होते हैं। बाकी जीव नष्ट हो जाते हैं।

उदाहरण: एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीवाणु, DDT प्रतिरोधी मच्छर

3️⃣ विभिन्नताएँ (Variations)

जीवों में पाए जाने वाले छोटे-छोटे अंतरों को विभिन्नताएँ कहते हैं। ये लैंगिक प्रजनन के दौरान बनती हैं।

कुछ विभिन्नताएँ लाभदायक होती हैं और आगे बढ़ती हैं।

4️⃣ डार्विन और वैलेस का सिद्धांत

डार्विन-वैलेस ने कहा — सभी जीवों में विविधता है; प्राकृतिक चयन के कारण अनुकूल जीव बचते हैं और नई प्रजातियाँ बनती हैं।

5️⃣ सजातीय और समवृत्ति लक्षण

प्रकाररचनाकार्य
सजातीयसमानभिन्न
समवृत्तिभिन्नसमान

उदाहरण: बोगनविला व कैक्टस (सजातीय), मटर व घटपर्णी (समवृत्ति)

6️⃣ धीमा और तेज विकास

धीमा: कपि से मानव का विकास (लाखों साल)।

तेज़: एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीवाणु (कुछ वर्षों में)।

7️⃣ चयन और अनुकूलन

जो जीव वातावरण के अनुसार खुद को ढाल लेते हैं, वे जीवित रहते हैं और आगे की पीढ़ियाँ बनाते हैं।

उदाहरण: फिंच पक्षियों की चोंच, DDT प्रतिरोधी मच्छर

8️⃣ समान पूर्वज

सभी जीवों का कोई न कोई समान पूर्वज रहा है। विविधता बढ़ने से अलग प्रजातियाँ बनीं।

मनुष्य का सबसे निकट संबंधी: चिम्पांजी

9️⃣ कृत्रिम बनाम प्राकृतिक चयन

कृत्रिम चयन: मनुष्य द्वारा — तेज गति से (जैसे नई फसलें)।

प्राकृतिक चयन: प्रकृति द्वारा — धीरे-धीरे (जैसे जिराफ की गर्दन)।

🔟 निष्कर्ष

विकास विविधताओं, चयन और अनुकूलन पर निर्भर है। यही प्रक्रियाएँ नई प्रजातियों की उत्पत्ति का कारण बनती हैं।

याद रखें-  विविधता → अनुकूलन → चयन → विकास

यह संक्षिप्त नोट्स कक्षा 10 के छात्रों के लिए रिवीजन हेतु तैयार किया गया है 📘

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