कक्षा 10 विज्ञान
अध्याय 1
जीवों का विकास
अभ्यास
प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर लिखिए-
(i) पालतू कुत्तों की आधुनिकतम नस्ल किस प्रक्रिया के फलस्वरूप बनी है-
(अ) प्राकृतिक चयन
(ब) कृत्रिम चयन
(स) यौवन चयन
(द) कार्य चयन
उत्तर- (ब) कृत्रिम चयन
(ii) कुत्ते व भेड़ के अग्रपाद चलने, व्हेल के अग्रपाद तैरने और चमगादड़ के अग्रपाद उड़ने के लिये है, ये किसके उदाहरण है-
(अ) समवृत्ति अंग
(ब) समजात अंग
(स) अविकसित अंग
(द) इनमें से सभी
उत्तर- (ब) समजात अंग
(iii) निम्नलिखित में से कौन-सी समवृत्ति संरचनाएँ हैं-
(अ) चमगादड़ के पंख और तितली के पंख
(ब) प्रॉन के गिल और मछली के गलफड़े
(स) कुकुरबिटा के कांटे और लौकी के तंतु
(द) चमगादड़ के पंख और घोड़े के पैर
उत्तर- (अ) चमगादड़ के पंख और तितली के पंख
(iv) डार्विन का सिद्धांत आधारित है –
(अ) अपनी यात्रा के दौरान दिए गए अवलोकनों से
(ब) कोशिका सिद्धान्त से
(स) मेण्डल के वंशागति के नियम से
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर- (अ) अपनी यात्रा के दौरान दिए गए अवलोकनों से
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. जीवों का वह समूह जो आपस में लैंगिक प्रजनन कर सकें जैविक प्रजाति कहलाता है I
2. फिंचो के चोच में अंतर, उनमें पाई जाने वाली सजातीय लक्षण को दर्शाता है।
3. कुछ जीवाणु स्ट्रेप्टोमाइसिन (एन्टिबायोटिक) युक्त माध्यम में पनपने में समर्थ होते हैं, इसका कारण विभिन्नता या विविधता है ।
प्रश्न 3.हमारे शरीर के अन्दर विशेषकर हमारी आँतों में कई जीवाणु पाये जाते हैं। यह लगभग हर 20 मिनट में प्रजनन करते हैं। प्रजनन के दौरान विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ती है जिनसे इनकी आबादी में काफी विभिन्नताएँ पाई जाती है। इस प्रकार इनमें बहुत जल्दी विकास होता है। एन्टिबायोटिक दवाइयों से जीवाणुओं की कई प्रजातियां खत्म हो जाती है पर विभिन्नताओं के कारण कोई न कोई प्रजाति बच जाती है जिन पर एन्टिबायोटिक का कोई असर नहीं हुआ हो। इनकी आबादी बढ़ने से ये एन्टिबायोटिक प्रतिरोधक बन जाते हैं।
इस जानकारी की मदद से निम्नलिखित सवालों का उत्तर दीजिए-
(क) ‘जीवाणुओं का विकास प्राकृतिक चयन द्वारा होता है।’ इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर- प्राकृतिक चयन का अर्थ है — ऐसी प्रक्रिया जिसमें प्रकृति उन्हीं जीवों को जीवित रखती है जिनमें वातावरण के अनुसार अनुकूल गुण होते हैं,जबकि कमज़ोर या अनुकूल न हो पाने वाले जीव नष्ट हो जाते हैं।जीवाणु बहुत तेज़ी से प्रजनन करते हैं और उनके वंश में छोटे-छोटे आनुवंशिक परिवर्तन (विविधताएँ) होते रहते हैं।जब उन पर एंटीबायोटिक दवाएँ डाली जाती हैं, तो सामान्य जीवाणु मर जाते हैं,लेकिन जिन जीवाणुओं में एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधक गुण होता है, वे जीवित रहते हैं और तेजी से बढ़ते हैं।धीरे-धीरे ऐसे प्रतिरोधी जीवाणुओं की संख्या बढ़ जाती है और पूरी आबादी दवा के प्रति प्रतिरोधक बन जाती है। इस प्रकार, केवल वही जीवाणु आगे जीवित रहते हैं जो वातावरण के अनुसार अपने आप को ढाल लेते हैं,इसलिए कहा जाता है कि जीवाणुओं का विकास प्राकृतिक चयन द्वारा हुआ है।
(ख) किस प्रक्रिया के दौरान विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर- विभिन्नताएँ मुख्य रूप से लैंगिक प्रजनन (Sexual Reproduction) की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होती हैं,क्योंकि इस प्रक्रिया में आनुवंशिक पदार्थ (DNA) का पुनर्संयोजन (recombination) होता है। माता-पिता दोनों से प्राप्त जीन मिलकर नई संतान में नए लक्षण और विभिन्नताएँ उत्पन्न करते हैं।
(ग) विकास में विभिन्नताओं की क्या भूमिका है ?
उत्तर- विकास की प्रक्रिया में विभिन्नताओं (variations) की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।सभी जीवों में पाई जाने वाली विभिन्नताएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुँचती रहती हैं।इन विभिन्नताओं के कारण संतान पीढ़ी, धीरे-धीरे जनक पीढ़ी से अलग होती जाती है और कभी-कभी एक नई प्रजाति का रूप ले लेती है।प्रजातियों का विकास, पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली ऐसी ही विभिन्नताओं से होता है।कुछ विभिन्नताएँ वातावरण के अनुसार लाभदायक सिद्ध होती हैं,जिससे जीवों की संख्या और अनुकूलन क्षमता दोनों बढ़ती हैं।इसी कारण जीवों में निरंतर बदलाव और विकास होता रहता है।
(घ)‘विकास की प्रक्रिया धीमी भी हो सकती है और जल्दी भी I’ इस कथन के अनुसार धीमी और तेज गति से होने वाले विकास का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर- 1. धीमी गति से होने वाला विकास- लंबे समय में होने वाला परिवर्तन, जैसे — कपि (बंदर) के समान पूर्वज से मानव का विकास। यह प्रक्रिया लाखों वर्षों में धीरे-धीरे हुई।
2. तेज़ गति से होने वाला विकास- कम समय में जल्दी होने वाला परिवर्तन, जैसे — एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीवाणुओं का विकास। यह कुछ वर्षों में ही हुआ जब जीवाणु दवाओं के प्रति प्रतिरोधी बन गए।
(ङ) क्या जीवाणुओं की ज्यादा अनुकूलित प्रजाति , एंटीबायोटिक प्रतिरोधक बन जाती है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर- जीवाणुओं की अधिक अनुकूलित प्रजातियाँ एंटीबायोटिक प्रतिरोधक बन जाती हैं। कुछ जीवाणु अपने वातावरण के अनुसार अपने शरीर में ऐसे परिवर्तन कर लेते हैं,जिनसे एंटीबायोटिक दवाओं का उन पर कोई असर नहीं होता।ये जीवाणु जीवित रहकर आगे प्रजनन करते हैं और अपनी प्रतिरोधक क्षमता अगली पीढ़ियों में पहुँचा देते हैं।धीरे-धीरे उनकी पूरी आबादी दवा के प्रति प्रतिरोधक (resistant) बन जाती है।
प्रश्न 4. कृत्रिम और प्राकृतिक चयन में दो अंतर लिखिए।
उत्तर-
| क्रमांक | कृत्रिम चयन (Artificial Selection) | प्राकृतिक चयन (Natural Selection) |
|---|---|---|
| 1. | मनुष्य द्वारा किया जाता है — मनचाही विशेषताएँ प्राप्त करने के लिए जीवों का चयन। | प्रकृति द्वारा स्वतः होता है — केवल योग्य जीव ही जीवित रहते हैं। |
| 2. | गति तेज होती है क्योंकि मानव सीधे हस्तक्षेप करता है। | गति धीमी होती है क्योंकि परिवर्तन कई पीढ़ियों में होता है। |
| उदाहरण | संकर (Hybrid) फसलें या नई नस्लें — जैसे उच्च उपज वाला चावल। | जिराफ की लंबी गर्दन या DDT प्रतिरोधी मच्छर। |
उत्तर- डार्विन और वैलेस द्वारा प्रतिपादित जीवों के विकास के सिद्धांत से हमें यह पता चलता है कि
कक्षा 10 विज्ञान
अध्याय 1 — जीवों का विकास (Short Notes)
1️⃣ विकास (Evolution) क्या है?
समय के साथ जीवों में धीरे-धीरे होने वाले बदलावों को विकास कहते हैं। इन बदलावों से नई प्रजातियाँ बनती हैं।
2️⃣ प्राकृतिक चयन (Natural Selection)
प्रकृति उन्हीं जीवों को जीवित रखती है जिनमें अनुकूल गुण होते हैं। बाकी जीव नष्ट हो जाते हैं।
उदाहरण: एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीवाणु, DDT प्रतिरोधी मच्छर
3️⃣ विभिन्नताएँ (Variations)
जीवों में पाए जाने वाले छोटे-छोटे अंतरों को विभिन्नताएँ कहते हैं। ये लैंगिक प्रजनन के दौरान बनती हैं।
कुछ विभिन्नताएँ लाभदायक होती हैं और आगे बढ़ती हैं।
4️⃣ डार्विन और वैलेस का सिद्धांत
डार्विन-वैलेस ने कहा — सभी जीवों में विविधता है; प्राकृतिक चयन के कारण अनुकूल जीव बचते हैं और नई प्रजातियाँ बनती हैं।
5️⃣ सजातीय और समवृत्ति लक्षण
| प्रकार | रचना | कार्य |
|---|---|---|
| सजातीय | समान | भिन्न |
| समवृत्ति | भिन्न | समान |
उदाहरण: बोगनविला व कैक्टस (सजातीय), मटर व घटपर्णी (समवृत्ति)
6️⃣ धीमा और तेज विकास
धीमा: कपि से मानव का विकास (लाखों साल)।
तेज़: एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीवाणु (कुछ वर्षों में)।
7️⃣ चयन और अनुकूलन
जो जीव वातावरण के अनुसार खुद को ढाल लेते हैं, वे जीवित रहते हैं और आगे की पीढ़ियाँ बनाते हैं।
उदाहरण: फिंच पक्षियों की चोंच, DDT प्रतिरोधी मच्छर
8️⃣ समान पूर्वज
सभी जीवों का कोई न कोई समान पूर्वज रहा है। विविधता बढ़ने से अलग प्रजातियाँ बनीं।
मनुष्य का सबसे निकट संबंधी: चिम्पांजी
9️⃣ कृत्रिम बनाम प्राकृतिक चयन
कृत्रिम चयन: मनुष्य द्वारा — तेज गति से (जैसे नई फसलें)।
प्राकृतिक चयन: प्रकृति द्वारा — धीरे-धीरे (जैसे जिराफ की गर्दन)।
🔟 निष्कर्ष
विकास विविधताओं, चयन और अनुकूलन पर निर्भर है। यही प्रक्रियाएँ नई प्रजातियों की उत्पत्ति का कारण बनती हैं।
यह संक्षिप्त नोट्स कक्षा 10 के छात्रों के लिए रिवीजन हेतु तैयार किया गया है 📘


