पाठ -11. चेतक की वीरता
लेखक- श्यामनाराय पाण्डेय
“इस पृष्ठ में हम कक्षा 6 की हिंदी (मल्हार) पाठ्यपुस्तक के पाठ 11 ‘चेतक की वीरता’ की पूर्ण व्याख्या, शब्दार्थ और प्रश्नोत्तर को विस्तार से समझेंगे।”
पद्यांशों की व्याख्या (Explanation of Stanzas)
1. रण-बीच चौकड़ी भर-भरकर
चेतक बन गया निराला था।
राणा प्रताप के घोड़े से
पड़ गया हवा को पाला था।
गिरता न कभी चेतक-तन पर
राणा प्रताप का कोड़ा था।
वह दौड़ रहा अरि-मस्तक पर
या आसमान पर घोड़ा था।
शब्दार्थ–
रण = युद्धभूमि
चौकड़ी = छलांग लगाना
अरि = शत्रु (दुश्मन)
निराला = सबसे अलग, अनोखा
पाला = मुकाबला
कोड़ा = घोड़े को चलाने की रस्सी
मस्तक = सिर
संदर्भ
यह पद हमारी पाठ्यपुस्तक 'मल्हार' के पाठ-11 "चेतक की वीरता" से लिया गया है, जिसके रचनाकार 'श्यामनारायण पाण्डेय जी' हैं.
प्रसंग
इसमें कवि ने राणा प्रताप के घोड़े चेतक की वीरता और उसकी तेज़ गति का सुंदर वर्णन किया है।
व्याख्या
कवि कहते हैं कि युद्ध के मैदान में जब चेतक छलांग लगाता था तो बहुत ही सुंदर और वीर लगता था। वह इतना तेज़ दौड़ता था कि लगता था जैसे हवा से भी आगे निकल गया हो। राणा प्रताप को चेतक पर कभी कोड़ा नहीं मारना पड़ता था, क्योंकि चेतक बहुत समझदार और आज्ञाकारी था। वह राणा की बात बिना कहे ही समझ जाता था। चेतक इतनी तेज़ी से दुश्मनों के सिर पर प्रहार करता है। ऐसा लगता था मानो वह ज़मीन पर नहीं, आसमान में उड़ रहा हो।
विशेष
भाषा सरल और लय से भरी है। इसमें अनुप्रास अलंकार और पदों में सुंदर ताल है।
2. जो तनिक हवा से बाग हिली
लेकर सवार उड़ जाता था।
राणा की पुतली फिरी नहीं
तब तक चेतक मुड़ जाता था।
कौशल दिखलाया चालों में
उड़ गया भयानक भालों में।
निर्भीक गया वह ढालों में
सरपट दौड़ा करवालों में।
शब्दार्थ
तनिक = थोड़ा
बाग = लगाम
पुतली = आँख का काला भाग
कौशल = कला, निपुणता
भयानक = डरावना
भाला = लंबा युद्ध-भाला (भाला एक हथियार होता है)
निर्भीक = निडर, बिना डरे
ढाल = रक्षा के लिए इस्तेमाल होने वाला कवच
करवाल = तलवार
संदर्भ
यह पद हमारी पाठ्यपुस्तक “मल्हार” के पाठ-11 “चेतक की वीरता” से लिया गया है, जिसके कवि श्यामनारायण पाण्डेय जी हैं।
प्रसंग
इसमें कवि ने राणा प्रताप के घोड़े चेतक की वीरता और उसकी तेज़ गति का सुंदर वर्णन किया है।
व्याख्या
कवि बताते हैं कि चेतक इतना तेज़ और समझदार था कि अगर हवा से लगाम ज़रा सी भी हिलती, तो वह तुरंत राणा प्रताप को लेकर उड़ पड़ता था। राणा की आँखों की पुतली घूमने से पहले ही चेतक समझ जाता था कि अब किस दिशा में जाना है। उसने अपनी तेज़ चाल और वीरता का अद्भुत उदाहरण दिखाया। वह बिना डरे भालों, तलवारों और ढालों के बीच से निकल जाता था। उसकी चाल इतनी तेज़ थी कि वह सब बाधाओं को पार कर जाता था।
विशेष
भाषा बहुत ही सरल और प्रवाहमयी है। इसमें अनुप्रास अलंकार और लयात्मकता है, जो पढ़ने में आनंद देती है।
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -
(i) चेतक राणा की बातों को भली-भाँति समझ लेता था।
(ii) चेतक ने अपनी कुशलता व वीरता का परिचय अपनी चाल के द्वारा दिया।
(iii) बहुत तेज गति से वाक्य के लिए एक शब्द है सरपट।
(iv) 'भयानक-भालों' में अनुप्रास अलंकार है।
(v) निर्भीक का अर्थ निडर है।
3. है यहीं रहा, अब यहाँ नहीं
वह वहीं रहा है वहाँ नहीं।
थी जगह न कोई जहाँ नहीं
किस अरि-मस्तक पर कहाँ नहीं।
बढ़ते नद-सा वह लहर गया
वह गया गया फिर ठहर गया।
विकराल बज्र-मय बादल-सा
अरि की सेना पर घहर गया।
शब्दार्थ
नद = नदी (पुल्लिंग रूप)
घहरना = टूट पड़ना
अरि = शत्रु (दुश्मन)
विकराल = भयानक, डरावना
बज्र-मय = बिजली जैसा तेज़
मस्तक = सिर
ठहर गया = कुछ पल रुक गया
संदर्भ
यह पद हमारी पाठ्यपुस्तक 'मल्हार' के पाठ-11 "चेतक की वीरता" से लिया गया है, जिसके रचनाकार 'श्यामनारायण पाण्डेय जी' हैं.
प्रसंग
इसमें कवि ने राणा प्रताप के घोड़े चेतक की वीरता और उसकी तेज़ गति का सुंदर वर्णन किया है।
व्याख्या
कवि कहते हैं कि चेतक इतनी तेज़ी से इधर-उधर दौड़ रहा था कि यह समझना मुश्किल था कि वह कहाँ है। अभी यहाँ दिखता था, तो अगले ही पल कहीं और नज़र आता था। रणभूमि का ऐसा कोई कोना नहीं था जहाँ चेतक ने अपने दुश्मनों पर हमला न किया हो।वह नदी की लहरों की तरह आगे बढ़ता गया, दुश्मनों पर टूट पड़ता। उसकी गति और बिजली की तरह वह भयानक बादल का रूप लेकर शत्रुओं की सेना पर टूट पड़ता था।
दिए गए पद्यांशों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
प्रश्न 1. 'अरि' का क्या अर्थ है ?
उत्तर- शत्रु
प्रश्न 2. बादल का रूप धारण कौन करता था ?
उत्तर- चेतक
प्रश्न 3. 'नद' से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- 'नद' नदी का पुल्लिंग रूप है।
प्रश्न 4. युद्ध के सभी स्थलों पर अपना परचम कौन लहराता था ?
उत्तर- चेतक।
प्रश्न 5. 'घहरना' का क्या अर्थ है ?
उत्तर- टूट पड़ना।
4.भाला गिर गया, गिरा निषंग,
हय-टापों से खन गया अंग।
वैरी-समाज रह गया दंग
घोड़े का ऐसा देख रंग।
शब्दार्थ
भाला = एक प्रकार का अस्त्र (हथियार), जिसे हाथ से दूर तक फेंका जाता है।
निषंग = तरकश (जिसमें तीर रखे जाते हैं)।
हय = घोड़ा।
टाप = घोड़े के दौड़ने की आवाज़ या चाल।
वैरी = शत्रु, दुश्मन।
खन गया = चोटिल हो गया, घायल हुआ।
दंग = अचंभित, हैरान।
संदर्भ
यह पद हमारी पाठ्यपुस्तक 'मल्हार' के पाठ-11 "चेतक की वीरता" से लिया गया है, जिसके रचनाकार 'श्यामनारायण पाण्डेय जी' हैं.
प्रसंग
इसमें कवि ने राणा प्रताप के घोड़े चेतक की वीरता और उसकी तेज़ गति का सुंदर वर्णन किया है।
व्याख्या
कवि कहते हैं कि जब चेतक युद्ध के मैदान में दौड़ता था, तो उसकी टापों की आवाज़ से धरती काँप उठती थी। दुश्मनों के भाले और तरकश ज़मीन पर गिर गए थे। बहुत से सैनिक चेतक की टापों से घायल हो गए थे। चेतक की तेज़ चाल और वीरता देखकर दुश्मनों की पूरी सेना हैरान रह गई थी। सभी सोचने लगे कि ऐसा बहादुर और समझदार घोड़ा उन्होंने पहले कभी नहीं देखा।
विशेष
भाषा संस्कृतनिष्ठ, पदमैत्री, सामासिक शब्दावली का प्रयोग, अनुप्रास अलंकार।
प्रश्नोत्तर (Questions and Answers)
प्रश्न 1. बैरी दल क्यों दंग रह गए ?
उत्तर- चेतक का पराक्रम देखकर बैरी दल दंग रह गए।
प्रश्न 2. दुश्मन कैसे घायल हो गए थे ?
उत्तर- घोड़े की टापों से दुश्मन घायल हो गए थे।
प्रश्न 3. अस्त्र व शस्त्र में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
* अस्त्र - ऐसा हथियार जिसे दूर से फेंका जाता है। जैसे - भाला।
* शस्त्र - ये खतरनाक हथियार होते हैं, जिसका प्रयोग शत्रु को नुकसान पहुँचाने के लिए किया जाता है। शस्त्र का प्रयोग हाथ से पकड़कर किया जाता है। जैसे - तलवार, गदा आदि।
पाठ से अभ्यास प्रश्न (Practice Questions from the Lesson)
मेरी समझ से (From My Understanding)
अब हम इस कविता पर विस्तार से चर्चा करेंगे। आगे दी गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए -
1.चेतक शत्रुओं की सेना पर किस प्रकार टूट पड़ता था ?
• चेतक बादल की तरह शत्रु की सेना पर वज्रपात बनकर टूट पड़ता था।
• चेतक शत्रु की सेना को चारों ओर से घेरकर उस पर टूट पड़ता था।
• चेतक हाथियों के दल के समान बादल के रूप में शत्रु की सेना पर टूट पड़ता था।
• चेतक नदी के उफान के समान शत्रु की सेना पर टूट पड़ता था।
उत्तर- (*) चेतक बादल की तरह शत्रु की सेना पर वज्रपात बनकर टूट पड़ता था।
2. 'लेकर सवार उड़ जाता था।' इस पंक्ति में 'सवार' शब्द किसके लिए आया है ?
• चेतक
• कवि
• महाराणा प्रताप
• शत्रु
उत्तर- (*) महाराणा प्रताप।
पंक्तियों पर चर्चा (Discussion on Lines)
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें पढ़कर समझिए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? कक्षा में अपने विचार साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
(क) "निर्भीक गया वह ढालों में, सरपट दौड़ा करवालों में।"
उत्तर- चेतक निडर होकर युद्ध में तलवारों और भालों से युक्त सेनाओं के बीच जाकर उन पर चोट करता और नहरों, नालों आदि को पार करता हुआ, वह तीव्र गति से बचकर निकल जाता है।
(ख) "भाला गिर गया, गिरा निषंग, हय टापों से खन गया अंग।"
उत्तर- युद्ध भूमि में दुश्मन चेतक की टापों से बुरी तरह घायल थे। उनके भाले और तरकश नीचे जमीन पर पड़े हुए थे।
मिलकर करें मिलान (Let's Match)
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही भावार्थ से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर–
| पंक्तियाँ (Lines) | भावार्थ (Meaning) |
|---|---|
| 1. राणा प्रताप के घोड़े से/ पड़ गया हवा को पाला था | हवा से भी तेज दौड़ने वाला चेतक ऐसे दौड़ लगा रहा था मानो हवा और चेतक में प्रतियोगिता हो रही हो। |
| 2. वह दौड़ रहा अरि- मस्तक पर, या आसमान पर घोड़ा था | शत्रुओं के सिर के ऊपर से होता हुआ एक छोर से दूसरे छोर पर ऐसे दौड़ता जैसे आसमान में दौड़ रहा हो। |
| 3. जो तनिक हवा से बाग हिली लेकर सवार उड़ जाता था। | चेतक की फुर्ती ऐसी कि लगाम के थोड़ा-सा हिलते ही सरपट हवा में उड़ने लगता था। |
| 4. राणा की पुतली फिरी नहीं, तब तक चेतक मुड़ जाता था | वह राणा की पूरी निगाह मुड़ने से पहले ही उस ओर मुड़ जाता अर्थात् वह उनका भाव समझ जाता था। |
| 5. विकराल बज्र-मय बादल-सा अरि की सेना पर घहर गया। | शत्रु की सेना पर भयानक बज्र-मय बादल बनकर टूट पड़ता और शत्रुओं का नाश करता। |
शीर्षक (Title)
कविता की रचना (Composition of the Poem)
शब्द के भीतर शब्द
पाठ से आगे प्रश्न-अभ्यास (Further Questions and Practice)
समानार्थी शब्द (Synonyms)
| क्रमांक | शब्द | समानार्थी शब्द | ||
|---|---|---|---|---|
| 1. | हवा | अनल | पवन | बयार |
| 2. | रण | तुरंग | युद्ध | समर |
| 3. | आसमान | आकाश | गगन | नभचर |
| 4. | नद | नाद | सरिता | तटिनी |
| 5. | करवाल | तलवार | असि | ढाल |
