कक्षा 6 वीं हिन्दी पाठ- 10. परीक्षा
गद्यांशों की व्याख्या
दिए गए गद्यांशों को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1. विज्ञापन ने सारे मुल्क में तहलका मचा दिया। ऐसा ऊँचा पद और किसी प्रकार की कैद नहीं? केवल नसीब का खेल है। सैकड़ों आदमी अपना-अपना भाग्य परखने के लिए चल खड़े हुए। देवगढ़ में नए-नए और रंग-बिरंगे मनुष्य दिखाई देने लगे। प्रत्येक रेलगाड़ी से उम्मीदवारों का एक मेला-सा उतरता। कोई पंजाब से चला आता था, कोई मद्रास से, कोई नए फैशन का प्रेमी, कोई पुरानी सादगी पर मिटा हुआ। रंगीन एमामे, चोगे और नाना प्रकार के अंगरखे और कंटोप देवगढ़ में अपनी सज-धज दिखाने लगे। लेकिन सबसे विशेष संख्या ग्रेजुएटों की थी, क्योंकि सनद की कैद न होने पर भी सनद से परदा तो ढका रहता है।
प्रश्नोत्तर
उत्तर - अपना भाग्य परखने के लिए लोग देवगढ़ चल पड़े।
प्रश्न 2. विज्ञापन के कारण क्या हुआ ?
उत्तर - विज्ञापन के बाद वहाँ तहलका मच गया था। दूर-दूर से लोग आने लगे थे, मानो उम्मीदवारों का मेला लग गया हो।
प्रश्न 3. उम्मीदवारों में विशेष संख्या किसकी थी ?
उत्तर - उम्मीदवारों में विशेष संख्या ग्रेजुएट उम्मीदवारों की थी।
प्रश्न 4. "सनद की कैद न होने पर भी सनद से परदा तो ढँका रहता है।" से लेखक का क्या आशय है ?
उत्तर - लेखक कहना चाहता है कि शिक्षा का दस्तावेज एक ऐसी प्रामाणिक वस्तु है जो मनुष्य के दोषों को ढंक देती है। इसलिए ग्रेजुएट उम्मीदवारों की संख्या ज्यादा थी।
प्रश्न 5. अर्थ बताइए-
(1) रंगीन एमामे
(2) अंगरखा
(3) चोगे
(4) सनद
उत्तर-
(1) रंगीन एमामे = रंगीन पगड़ी, रंगीन सिर-वस्त्र
(2) अंगरखा = एक प्रकार का कुर्ता
(3) चोगे = जामा / साया
(4) सनद = प्रमाण / सबूत
प्रश्न 1. सज्जन लोग कैसे खेल खेलते थे ?
उत्तर - सज्जन लोग शतरंज और ताश जैसे खेल खेलते थे।
प्रश्न 2. देवगढ़ में उम्मीद्वारों के बीच कौन-सा खेल खेला गया ?
उत्तर- देवगढ़ में उम्मीद्वारों के बीच हॉकी का खेल खेला गया।
प्रश्न 3. खेल का परिणाम क्यों नहीं निकल पाया ?
उत्तर- खेल का परिणाम इसलिए नहीं निकल पाया, क्योंकि दोनों टीम के खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया। वे एक-दूसरे को पराजित न कर सके।
प्रश्न 4. मुहावरों का अर्थ लिखते हुए वाक्य-प्रयोग कीजिए -
(1) लोहे की दीवार
(2) हाँफते-हाँफते बेदम होना।
उत्तर-
अर्थ– बहुत मज़बूत चीज़।
वाक्य– हमारे सैनिक देश की रक्षा लोहे की दीवार बनकर करते हैं।
(2) हाँफते-हाँफते बेदम होना
अर्थ– बहुत ज़्यादा थक जाना।
वाक्य– मोहन दौड़ प्रतियोगिता में हाँफते-हाँफते बेदम हो गया।
3. किसान युवक के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। बोला, "महाराज, आपने आज मुझे उबार लिया, नहीं तो सारी रात मुझे यहाँ बैठना पड़ता।" युवक ने हँसकर कहा, "अब मुझे कुछ इनाम देते हो?" किसान ने गंभीर भाव से कहा, "नारायण चाहेंगे तो दीवानी आपको ही मिलेगी।" युवक ने किसान की तरफ गौर से देखा। उसके मन में एक संदेह हुआ, क्या यह सुजान सिंह तो नहीं है? आवाज मिलती है, चेहरा-मोहरा भी वही। किसान ने भी उसकी ओर तीव्र दृष्टि से देखा। शायद उसके दिल के संदेह को भाँप गया। मुस्कराकर बोला, "गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है।"
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -
(i) गहरे पानी पैठने से ही मोती मिलता है।
(ii) नारायण चाहेंगे तो दीवानी आपको ही मिलेगी।
(iii) किसान युवक के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया।
(iv) युवक ने किसान को गौर से देखा, उसे संदेह हुआ।
(v) सुजानसिंह ही किसान के वेश में था।
4. जब सरदार सुजानसिंह ने खड़े होकर कहा, "मेरे दीवानी के उम्मीदवार महाशयो! मैंने आप लोगों को जो कष्ट दिया है, उसके लिए मुझे क्षमा कीजिए। इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल। हृदय वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करे और इस रियासत के सौभाग्य से हमें ऐसा पुरुष मिल गया। ऐसे गुणवाले संसार में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं, उन तक हमारी पहुँच नहीं। मैं रियासत के पंडित जानकीनाथ को दीवानी पाने पर बधाई देता हूँ।"
प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर लिखिए -
1. 'कीर्ति' का विलोम शब्द है -
(i) ख्याति
(ii) अपकीर्ति
(iii) प्रसिद्धि
(iv) विभूति।
उत्तर– (ii) अपकीर्ति
2. कीर्ति या मान के शिखर पर बैठते हैं -
(i) बलवान
(ii) दुर्बल
(iii) पहलवान
(iv) गुणवान
उत्तर– (iv) गुणवान
3. 'सौभाग्य' का विलोम है -
(i) दुर्भाग्य
(ii) खुशकिस्मतील
(iii) बङ्किस्मती
(iv) अहोभाग्य।
उत्तर– (i) दुर्भाग्
4. 'उदार' का विलोम शब्द है -
(i) कंजूस
(ii) दयालु
(iii) बेईमान
(iv) अनुदार
उत्तर– (iv) अनुदार
5. देवगढ़ रियासत की दीवानी मिली -
(i) सुजानसिंह को
(ii) पंडित जानकीनाथ को
(iii) जनता को
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर - (ii) पंडित जानकीनाथ को
पाठ से प्रश्न-अभ्यास
मेरी समझ सेआइए, अब हम 'परीक्षा' के बारे में कुछ चर्चा कर लेते हैं-
(क) आपकी समझ से नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए -
1. महाराज ने दीवान को ही उनका उत्तराधिकारी चुनने का कार्य उनके किस गुण के कारण सौंपा ?
• सादगी
• बल
• उदारता
• नीतिकुशलता
उत्तर– (*) उदारता
2. दीवान साहब द्वारा नौकरी छोड़ने के निश्चय का क्या कारण था ?
• परमात्मा की याद
• राज-काज सँभालने योग्य शक्ति न रहना (*)
• बदनामी का भय
• चालीस वर्ष की नौकरी पूरा हो जाना।
उत्तर– (*) राज-काज सँभालने योग्य शक्ति न रहना
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने ?
उत्तर-
1. सुजानसिंह दीवान पद के व्यक्ति में उदारता का गुण देखना चाहते थे जो उन्हें पंडित जानकीनाथ में दिखाई दिया, क्योंकि उदार व्यक्ति ही प्रजा को सुखी रख सकता है, अतः यह विकल्प उचित है।
2. वृद्धावस्था की वजह से सुजानसिंह राज-काज संभालने में स्वयं को असमर्थ पा रहे थे, इसलिए वे समय रहते नये दीवान का चुनाव करना चाहते थे।
शीर्षक
(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम प्रेमचंद ने 'परीक्षा' रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि उन्होंने इस कहानी का यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर के कारण भी लिखिए।उत्तर- प्रेमचंद जी ने इस कहानी का नाम 'परीक्षा' रखा। इसके कई कारण हो सकते हैं:
1. नए दीवान का चयन करने के लिए 'परीक्षा' ली गई थी।
2. योग्य व्यक्ति जो मानवीय गुणों से युक्त हो, ऐसे व्यक्ति की योग्यता परखने के लिए दीवान किसान बनते हैं।
3. विभिन्न स्थानों से आए उम्मीदवारों के व्यवहार का मूल्यांकन लगभग एक महीने तक किया गया।
(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए।
उत्तर- यदि हमें इस कहानी को कोई और नाम देना होता, तो हम इसका शीर्षक ‘उदारता’ या ‘परोपकार परमोधर्मः’ रखते, क्योंकि इस कहानी में दिखाया गया है कि दीवान पद के लिए वही व्यक्ति उपयुक्त था, जिसके हृदय में दूसरों के प्रति सच्ची उदारता और परोपकार की भावना थी।
पंक्तियों पर चर्चा
कहानी में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।"इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल। हृदय वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करे। ऐसे गुणवाले संसार में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं।"
उत्तर- दीवान के पद के लिए ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया और उदारता हो तथा जो अपने आत्मबल के सहारे कठिन परिस्थितियों का डटकर सामना कर सके। ऐसे गुणों वाले व्यक्ति ही सच्चे अर्थों में महान होते हैं और समाज में सम्मान तथा प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं।
सोच-विचार के लिए
कहानी को एक बार फिर से पढ़िए, निम्नलिखित के बारे में पता लगाइए और लिखिए-(क) नौकरी की चाह में आए लोगों ने नौकरी पाने के लिए कौन-कौन से प्रयत्न किए ?
उत्तर- नौकरी की इच्छा रखने वाले लोगों ने अपनी अच्छाई दिखाने के लिए कई प्रयत्न किए। वे अपने व्यवहार में बनावटीपन लाने लगे। जब उन्हें पता चला कि चयन आचरण के आधार पर होगा, तो वे दिखावे के लिए जल्दी उठने लगे, सेवकों से मीठे और आदरपूर्ण शब्दों में बात करने लगे ताकि वे अच्छे दिखाई दें।
(ख) “उसे किसान की सूरत देखते ही सब बातें ज्ञात हो गई।" खिलाड़ी को कौन-कौन सी बातें पता चल गई ?
उत्तर- जब खिलाड़ी ने किसान को गाड़ी सहित नाले में फँसा देखा, तो उसके चेहरे की हालत देखकर ही समझ गया कि किसान बहुत परेशान है, उसकी गाड़ी नाले में धँस गई है और वह अकेले उसे निकाल नहीं पा रहा है। खिलाड़ी जान गया कि किसान को मदद की आवश्यकता है।
(ग) "मगर उन आँखों में सत्कार था, इन आँखों में ईर्ष्या। "किनकी आँखों में सत्कार था और किनकी आँखों में ईर्ष्या थी? क्यों?
उत्तर - पंडित जानकीनाथ को उनकी उदारता के कारण ही दीवानी का पद मिला था, इस कारण सुजानसिंह और अन्य दरबारियों की आँखों में युवक के प्रति सत्कार की भावना थी, परन्तु अन्य उम्मीदवार जो न चुने गए उनकी आँखों में ईर्ष्या थी।
खोजबीन
कहानी में से वे वाक्य खोजकर लिखिए जिनसे पता चलता है कि-(क) शायद युवक बूढ़े किसान की असलियत पहचान गया था।
उत्तर - "युवक ने किसान की तरफ गौर से देखा। उसके मन में एक संदेह हुआ, क्या यह वही सुजानसिंह तो नहीं है ? आवाज मिलती है, चेहरा-मोहरा भी वही।"
(ख) नौकरी के लिए आए लोग किसी तरह बस नौकरी पा लेना चाहते थे।
उत्तर - "जिससे बात कीजिए वह नम्रता और सदाचार का देवता बना, मालूम होता था, लोग समझते थे कि एक महीने का झंझट है, किसी तरह काट लें, कहीं कार्य सिद्ध हो गया तो कौन पूछता है ?"
समस्या और समाधान
इस कहानी में कुछ समस्याएं हैं और उसके समाधान भी है। कहानी को एक बार फिर से पढ़कर बताइए कि -(क) महाराज के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर - महाराज के सामने यह समस्या थी कि उनकी रियासत के दीवान सुजानसिंह ने अपनी वृद्धावस्था के कारण दीवानी पद से त्यागपत्र देने की बात कही थी। राजा ने इसका समाधान यह निकाला कि दीवान सुजानसिंह को यदि पद से त्यागपत्र देना है तो वह स्वयं ही रियासत के लिए किसी योग्य दीवान का चयन करे।
(ख) दीवान के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर - दीवान सुजानसिंह के सामने यह समस्या थी कि वे रियासत के लिए योग्य उम्मीदवार की तलाश कैसे करें। इसलिए उन्होंने एक विज्ञापन दिया कि शिक्षा नहीं अपितु आचार, व्यवहार और गुणों को एक महीने तक परखने के बाद उम्मीदवार चुना जाएगा।
(ग) नौकरी के लिए आए लोगों के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर - नौकरी के लिए आए लोगों को स्वयं को अच्छा बनकर दिखाना था। इसके लिए उन्होंने दिखावा शुरू कर दिया। उनका व्यवहार अचानक विनम्र हो गया। प्रातःकाल उठना, पुस्तकें पढ़ना इत्यादि दिखावे के द्वारा उन्होंने अपने आचरण में बदलाव किया।
मन के भाव
"स्वार्थ था, मद था, मगर उदारता और वात्सल्य का नाम भी न था।"इस वाक्य में कुछ शब्दों के नीचे रेखा खिंची हुई है। ये सभी नाम हैं, लेकिन दिखाई देने वाली वस्तुओं, व्यक्तियों या जगहों का नाम नहीं हैं। ये सभी शब्द मन के भावों के नाम हैं। आप कहानी में से ऐसे ही अन्य नामों को खोजकर नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में लिखिए।
उत्तर– भावों के नाम— • स्नेह/प्रेम
• दया या करुणा
• आस्था या विश्वास
• बल या शक्ति
• संवेदनाएं
• सौहार्द्र
• ईर्ष्या द्वेष
विपरीतार्थक शब्द (Antonyms)
"विद्या का कम, परन्तु कर्तव्य का अधिक विचार किया जाएगा।"
'कम' का विपरीत अर्थ देने वाला शब्द है 'अधिक'। इसी प्रकार के कुछ विपरीतार्थक शब्द नीचे दिए गए हैं लेकिन वे आमने-सामने नहीं हैं। रेखाएँ खींचकर विपरीतार्थक शब्दों के सही जोड़े बनाइए—
| स्तम्भ 1 | स्तम्भ 2 |
|---|---|
| 1. आना | निर्दयी |
| 2. गुण | निराशा |
| 3. आदर | जीत |
| 4. स्वस्थ | अवगुण |
| 5. कम | अस्वस्थ |
| 6. दयालु | अधिक |
| 7. योग्य | जाना |
| 8. हार | अयोग्य |
| 9. आशा | अनादर |
उत्तर: 1. जाना, 2. अवगुण, 3. अनादर, 4. अस्वस्थ, 5. अधिक, 6. निर्दयी, 7. अयोग्य, 8. जीत, 9. निराशा।
कहावत (Proverb)
"गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है।"
यह वाक्य एक कहावत है। इसका अर्थ है कि कोशिश करने पर ही सफलता मिलती है। ऐसी ही एक और कहावत है, "जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ" अर्थात् परिश्रम का फल अवश्य मिलता है। कहावतें ऐसै वाक्य होते हैं जिन्हें लोग अपनी बात को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयोग करते हैं। आपके घर और पास-पड़ोस में भी लोग अनेक कहावतों का उपयोग करते होंगे।
नीचे कुछ कहावतें और उनके भावार्थ दिए गए हैं। आप इन कहावतों को कहानी से जोड़कर अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए -
उत्तर- कुछ उम्मीदवारों के पास ज़्यादा ज्ञान नहीं होता, फिर भी वे बड़े-बड़े ग्रंथों में डूबे रहते और अकड़कर चलते थे। इसलिए कहा गया है — “अधजल गगरी छलकत जाए।”
2. अब पछताए होत क्या जब चिंड़ियाँ चुग गई खेत - समय निकल जाने के बाद पछताना व्यर्थ होता है।
उत्तर– जब पंडित जानकीनाथ दीवान चुने गए, तब बाकी उम्मीदवारों को पछतावा हुआ कि काश उन्होंने भी किसान की मदद की होती। लेकिन अब देर हो चुकी थी। इसलिए कहा गया है — “अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत।”
3. एक अनार सौ बीमार - कोई ऐसी एक चीज जिसको चाहने वाले अनेक हों।
उत्तर– जब दीवान की नौकरी की घोषणा हुई, तो बहुत सारे लोग उसे पाने के लिए आ गए। सब अपनी-अपनी योग्यता दिखाने लगे, पर जगह तो एक ही थी। इसलिए कहा गया है — “एक अनार सौ बीमार।”
4. जो गरजते हैं वे बरसते नहीं हैं - जो अधिक बढ़-चढ़कर बोलते हैं, वे काम नहीं करते हैं।
उत्तर– युवक स्वयं घायल था पर किसान को मुसीबत में देख वो उसकी सहायता करने चल पड़ा और किसान की गाड़ी को नाले से बाहर निकलवाया। इसे कहते हैं- जहाँ चाह, वहाँ राह।
5. जहाँ चाह, वहाँ राह - जब किसी काम को करने की इच्छा होती है, तो उसका साधन भी मिल जाता है।
(संकेत - विज्ञापन में तो एक नौकरी की बात कही गई थी, लेकिन उम्मीदवार आ गए हजारों। इसे कहते हैं- एक अनार सौ बीमार।)
उत्तर- घायल होते हुए भी युवक ने किसान की मदद करने की ठान ली और अपनी कोशिश से उसकी गाड़ी निकाल दी। उसकी इच्छा और हिम्मत से काम बन गया। इसलिए कहा गया है — “जहाँ चाह, वहाँ राह।”
पाठ से आगे प्रश्न-अभ्यास (Further Questions and Practice)
अनुमान या कल्पना से (From Inference or Imagination)(क) “दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञान निकला।" देश के प्रसिद्ध पत्रों में नौकरी का विज्ञापन किसने निकलवाया होगा? आपको ऐसा क्यों लगता है?
उत्तर- मुझे लगता है कि देश के प्रसिद्ध पत्रों में नौकरी का विज्ञापन दीवान सुजानसिंह ने ही निकलवाया होगा, क्योंकि राजा ने उन्हें नए दीवान के चयन की जिम्मेदारी दी थी। इसलिए योग्य व्यक्ति की खोज के लिए उन्होंने यह विज्ञापन प्रकाशित करवाया होगा।
(ख) "इस विज्ञापन ने सारे मुल्क में तहलका मचा दिया।" विज्ञापन ने पूरे देश में तहलका क्यों मचा दिया होगा?
उत्तर - इस विज्ञापन ने पूरे देश में तहलका मचा दिया क्योंकि इसमें नए दीवान के चयन की बात कही गई थी। सबसे बड़ी बात यह थी कि चयन शैक्षिक योग्यता से नहीं, बल्कि आचार-व्यवहार के आधार पर होना था। लोगों को लगा कि ऐसे चयन में उन्हें कोई कठिनाई नहीं होगी, उन्हें लगा यह प्रकिया बहुत आसान है।
आगे की कहानी (The Rest of the Story)
(क) 'परीक्षा' कहानी जहाँ समाप्त होती है, उसके आगे क्या हुआ होगा। आगे की कहानी अपनी कल्पना से बनाइए।उत्तर- नए दीवान के रूप में पंडित जानकीनाथ का चयन होने पर सभी ने उन्हें बधाई दी। कुछ लोग सचमुच खुश थे, जबकि कुछ के मन में जलन थी। राजा साहब ने दीवान सुजानसिंह को सम्मानपूर्वक विदाई दी। पंडित जानकीनाथ ने ईमानदारी और लगन से अपना कार्यभार संभाला लिया और कुशलतापूर्वक अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करने लगे।
आपकी बात (Your Opinion)
(क) यदि कहानी में दीवान साहब के स्थान पर आप होते तो योग्य व्यक्ति को कैसे चुनते?उत्तर- यदि मैं दीवान साहब के स्थान पर होता, तो योग्य व्यक्ति को चुनने के लिए परीक्षा और साक्षात्कार दोनों कराता। साथ ही, मैं यह भी देखता कि वह व्यक्ति कठिन परिस्थिति में कैसे व्यवहार करता है — क्या वह ईमानदार, दयालु और साहसी है या नहीं। इन्हीं गुणों के आधार पर सही व्यक्ति का चयन करता।
(ख) यदि आपको कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए कहा जाए तो आप उसे कैसे चुनेंगे? उसमें किन-किन गुणों को देखेंगे? गुणों की परख के लिए क्या-क्या करेंगे?
उत्तर- यदि मुझे कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए कहा जाए, तो मैं ऐसे विद्यार्थी को चुनूँगा जो ईमानदार, समझदार, अनुशासित और सबका मित्र हो। मैं यह देखूँगा कि वह कक्षा के नियमों का पालन करता है या नहीं और सबके साथ मिल-जुलकर काम कर सकता है या नहीं। जो छात्र इन गुणों में सबसे अच्छा होगा, वही अच्छा मॉनिटर बनेगा।
