CLASS 6 हिंदी
पाठ – हार की जीत
लेखक – सुदर्शन
गद्यांश की व्याख्या
माँ को अपने बेटे और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद मिलता है, वही आनंद बाबा भारती को अपने घोड़े को देखकर मिलता था। बाबा भारती अपना बचा हुआ समय घोड़े को देते थे। वह घोड़ा बहुत सुंदर और बलवान था। उस घोड़े जैसा घोड़ा पूरे इलाके में नहीं था। बाबा भारती उसे 'सुल्तान' कहते थे। वे अपने हाथों से उसकी मालिश करते, उसे दाना खिलाते, और उसे देखकर बहुत खुश होते थे।
उन्होंने अपना सब कुछ, जैसे- रुपये, जमीन, और अन्य सामान छोड़ दिया था। वे शहर के जीवन से भी नफरत करते थे। वे अब गाँव से बाहर एक छोटे मंदिर में रहकर भगवान का भजन करते थे। बाबा भारती को ऐसा लगता था कि वे सुल्तान के बिना नहीं रह सकते। वे सुल्तान की चाल के दीवाने थे। वे कहते थे कि वह ऐसे चलता है, जैसे मोर घटा को देखकर नाच रहा हो। जब तक वे शाम को सुल्तान पर चढ़कर आठ-दस मील का चक्कर नहीं लगा लेते थे, उन्हें चैन नहीं मिलता था।
प्रश्न 1. बाबा भारती घोड़े की किस प्रकार सेवा करते थे?
उत्तर- बाबा भारती अपने हाथों से सुल्तान की मालिश और खरहरा करते थे। वे स्वयं उसे दाना खिलाते और उसकी पूरी देखभाल करते थे।
प्रश्न 2. सुल्तान को देखकर बाबा भारती को किस प्रकार के आनंद की प्राप्ति होती थी?
उत्तर- बाबा भारती को सुल्तान को देखकर वैसा ही सुख और संतोष मिलता था, जैसा एक माँ को अपने बच्चे से और किसान को अपने लहलहाते खेत से मिलता है।
प्रश्न 3. सुल्तान कैसा दिखता था?
उत्तर- सुल्तान अत्यंत सुंदर, आकर्षक और बलवान घोड़ा था।
2. बाबा भारती और खड्गसिंह दोनों अस्तबल में पहुँचे। बाबा ने घोड़ा घमंड से दिखाया, खड्गसिंह ने घोड़ा आश्चर्य से देखा। उसने सैकड़ों घोड़े देखे थे, परन्तु ऐसा बाँका घोड़ा उसकी आँखों से कभी न गुजरा था। वह सोचने लगा, 'भाग्य की बात है। ऐसा घोड़ा खड्गसिंह के पास होना चाहिए था। इस साधु को ऐसी चीजों से क्या लाभ?' कुछ देर तक आश्चर्य से चुपचाप खड़ा रहा। इसके पश्चात् उसके हृदय में हलचल होने लगी। बालकों की-सी अधीरता से बोला, "परन्तु बाबाजी, इसकी चाल न देखी तो क्या?"।
बाबा भारती भी मनुष्य ही थे। अपनी चीज़ की प्रशंसा दूसरे के मुख से सुनने के लिए उनका हृदय भी अधीर हो गया। घोड़े को खोलकर बाहर लाए और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगे। एका-एक उछककर सवार हो गए, घोड़ा हवा से बातें करने लगा। उसकी चाल को देखकर खड्गसिंह के हृदय पर साँप लोट गया। वह डाकू था और जो वस्तु उसे पसंद आ जाए उस पर वह अपना अधिकार समझता था। उसके पास बाहुबल था, आदमी थे और बेरहमी थी। जाते-जाते उसने कहा, "बाबाजी, मैं यह घोड़ा आपके पास न रहने दूँगा।"
प्रश्न 1. घोड़ा देखकर खड्गसिंह पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- घोड़े को देखकर खड्गसिंह चकित रह गया। उसने अनेक घोड़े देखे थे, परंतु ऐसा सुंदर और सजीला घोड़ा उसने पहले कभी नहीं देखा था। उसके मन में यह विचार आया कि यह घोड़ा तो उसके पास होना चाहिए, साधु को ऐसे घोड़े से क्या लाभ होगा।
प्रश्न 2. बाबा भारती का हृदय अधीर क्यों हो गया?
उत्तर- जब खड्गसिंह ने घोड़े की प्रशंसा करते हुए उसकी चाल देखने की बात कही, तो बाबा भारती भी अपने प्रिय घोड़े की विशेषता दिखाने के लिए अधीर हो उठे। वे स्वयं उसकी चाल प्रदर्शित करने लगे।
प्रश्न 3. खड्गसिंह ने बाबा भारती से क्या कहा?
उत्तर- जाते-जाते खड्गसिंह ने बाबा भारती से कहा— "बाबाजी, यह घोड़ा आपके पास नहीं रहने दूँगा।"
3. आवाज में करुणा थी। बाबा ने घोड़े को रोक लिया। देखा, एक अपाहिज वृक्ष की छाया में पड़ा कराह रहा है। बोले, "क्यों तुम्हें क्या कष्ट है?"।
अपाहिज ने हाथ जोड़कर कहा, "बाबा, मैं दुखियारा हूँ। मुझ पर दया करो। रामावाला यहाँ से तीन मील है, मुझे वहाँ जाना है। घोड़े पर चढ़ा लो, परमात्मा भला करेगा।"
"वहाँ तुम्हारा कौन है?"
"दुर्गादत्त वैद्य का नाम आपने सुना होगा। मैं उनका सौतेला भाई हूँ।"
बाबा भारती ने घोड़े से उतरकर अपाहिज को घोड़े पर सवार किया और स्वयं उसकी लगाम पकड़कर धीरे-धीरे चलने लगे। सहसा उन्हें एक झटका-सा लगा और लगाम हाथ से छूट गई। उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा, जब उन्होंने देखा कि अपाहिज घोड़े की पीठ पर तनकर बैठा है और घोड़े को दौड़ाए लिए जा रहा है। उनके मुख से भय, विस्मय और निराशा से मिली हुई चीख निकल गई। वह अपाहिज डाकू खड्गसिंह था। बाबा भारती कुछ देर तक चुप रहे और कुछ समय पश्चात् कुछ निश्चय करके पूरे बल से चिल्लाकर बोले, "जरा ठहर जाओ।"
प्रश्न 1. वृक्ष की छाया में कौन था?
उत्तर - वृक्ष की छाया में एक अपाहिज कराह रहा था।
प्रश्न 2. अपाहिज ने बाबा से क्या प्रार्थना की?
उत्तर - अपाहिज ने बाबा से कहा, "मैं दुखियारा हूँ। मुझ पर दया करो। रामावाला यहाँ से तीन मील है, मुझे वहाँ जाना है। घोड़े पर चढ़ा लो, परमात्मा भला करेगा।
प्रश्न 3. अपाहिज कौन था?
उत्तर- वह अपाहिज वास्तव में डाकू खड्गसिंह था।
4. खड्गसिंह ने यह आवाज सुनकर घोड़ा रोक लिया और उसकी गर्दन पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा, "बाबाजी, यह घोड़ा अब न दूँगा।"
"परन्तु एक बात सुनते जाओ।"
खड्गसिंह ठहर गया।
बाबा भारती ने निकट जाकर उसकी ओर ऐसी आँखों से देखा जैसे बकरा कसाई की ओर देखता है और कहा, "यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है। मैं तुमसे इसे वापस करने के लिए न कहूँगा। परन्तु खड्गसिंह, केवल एक प्रार्थना करता हूँ, इसे अस्वीकार न करना, नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा।"
"बाबाजी, आज्ञा कीजिए। मैं आपका दास हूँ, केवल यह घोड़ा न दूँगा।"
"अब घोड़े का नाम न लो। मैं तुमसे इस विषय में कुछ न कहूँगा। मेरी प्रार्थना केवल यह है कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना।"खडगसिंह का मुँह आश्चर्य से खुल्ला रह गया। उसे लगा था कि उसे घोड़े को लेकर यहाँ से भागना पड़ेगा, परन्तु बाबा भारती ने स्वयं उसे कहा कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना। इससे क्या प्रयोजन सिद्ध हो सकता है? खडगसिंह ने बहुत सोचा, बहुत सिर मारा, परन्तु कुछ समझ न सका। हारकर उसने अपनी आँखें बाबा भारती के मुख पर गड़ा दीं और पूछा, “बाबाजी, इसमें आपको क्या डर है?” सुनकर बाबा भारती ने उत्तर दिया, “लोगों को यदि इस घटना का पता चला तो वे किसी गरीब पर विश्वास न करेंगे। दुनिया से विश्वास उठ जाएगा।” यह कहते-कहते उन्होंने सुल्तान की ओर से इस तरह मुँह मोड़ लिया जैसे उनका उससे कभी कोई संबंध ही न रहा हो।
प्रश्न 1. बाबा भारती ने खड्गसिंह से क्या कहा?
उत्तर- बाबा भारती ने उससे कहा कि, घोड़ा तुम्हारा हो चुका। मैं इसे वापस नहीं लूँगा। परन्तु एक प्रार्थना है तुमसे कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना।
प्रश्न 2. खड्गसिंह को आश्चर्य क्यों हुआ?
उत्तर- बाबा भारती ने जब ये कहा कि इस घटना का जिक्र किसी से न करना तो खड्गसिंह को आश्चर्य हुआ।
प्रश्न 3. बाबा भारती ने घटना का जिक्र किसी से नहीं करने को क्यों कहा?
उत्तर- बाबा भारती को डर था कि यदि लोगों को इस घटना का पता चलेगा तो फिर कोई भी किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेगा।
अभ्यास प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. घोड़ा देखकर बाबा भारती को बड़ा आनंद आता था।
2. खड्गसिंह डाकू था।
3. वैद्य का नाम दुर्गादत्त था।
4. सुल्तान की ओर से बाबा भारती ने मुँह मोड़ लिया।
5. खड्गसिंह ने अपने आपको दुर्गादत्त का सौतेला भाई बताया।
प्रश्न 2. सही विकल्प चुनकर लिखिए -
1. नगर के जीवन से घृणा थी -
(i) खड्गसिंह को
(ii) बाबा भारती को
(iii) दुर्गादत्त को
(iv) गाँव वासियों को।
2. बाबा भारती रखवाली करने लगे -
(i) घर की
(ii) मंदिर की
(iii) अस्तबल की
(iv) गाँव की।
3. 'प्रयोजन' शब्द का अर्थ है -
(i) कारण
(ii) उद्देश्य
(iii) कठिन
(iv) असमंजस।
4. खड्गसिंह ने घोड़े को वापस लाकर अस्तबल में बाँध दिया-
(i) डर के कारण
(ii) घबरा कर
(iii) पश्चाताप के कारण
(iv) तरस खाकर।
5. 'अपाहिज' कौन था -
(i) खड्गसिंह
(ii) बाबा भारती
(iii) दुर्गादत्त
(iv) भिखारी।
पाठ से प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न: नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए -
1. सुल्तान के छीने जाने का बाबा भारती पर क्या प्रभाव हुआ?
🔹बाबा भारती के मन से चोरी का डर समाप्त हो गया।
🔹बाबा भारती ने गरीबों की सहायता करना बंद कर दिया।
🔹बाबा भारती ने द्वार बंद करना छोड़ दिया।
🔹बाबा भारती असावधान हो गए।
उत्तर- (क) 1. *बाबा भारती असावधान हो गए।
2. "बाबा भारती भी मनुष्य ही थे।" इस कथन के समर्थन में लेखक ने कौन-सा तर्क दिया है?
🔹बाबा भारती ने डाकू को घमंड से घोड़ा दिखाया।
🔹बाबा भारती घोड़े की प्रशंसा दूसरों से सुनने के लिए व्याकुल थे।
🔹बाबा भारती को घोड़े से अत्यधिक लगाव और मोह था।
🔹बाबा भारती हर पल घोड़े की रखवाली करते रहते थे।
उत्तर- 2. * बाबा भारती घोड़े की प्रशंसा दूसरों से सुनने के लिए व्याकुल थे।
शीर्षक
(क) आपने अभी जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम सुदर्शन ने 'हार की जीत' रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि उन्होंने इस कहानी को यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर का कारण भी लिखिए।
उत्तर- बाबा भारती अपने घोड़े सुल्तान को बहुत प्रेम करते थे, किंतु खड्गसिंह ने अपाहिज बनकर छल से वह घोड़ा उनसे छीन लिया। यह कार्य अनुचित और विश्वासघातपूर्ण था, जिससे बाबा अत्यंत दुखी हुए। लेकिन उन्होंने इस घटना का किसी से उल्लेख न करने का निश्चय किया, ताकि लोगों का विश्वास गरीबों से न उठे। बाबा भारती की इस करुणा और उदारता ने खड्गसिंह के हृदय को बदल दिया और उसने पश्चाताप करके घोड़ा वापस ला दिया। इस प्रकार घोड़ा खोकर भी बाबा भारती की नैतिक विजय हुई। यही कारण है कि इस कहानी का शीर्षक “हार की जीत” उपयुक्त है।
(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए।
उत्तर- शीर्षक – “पश्चाताप”।
यह नाम इसलिए उचित है क्योंकि बाबा भारती की महानता और त्याग से प्रभावित होकर खड्गसिंह को अपने धोखे पर गहरा पछतावा हुआ। यही पश्चाताप उसके हृदय परिवर्तन का कारण बना।
(ग) बाबा भारती ने डाकू खड़ग़सिंह से कौन–सा वचन लिया?
उत्तर- बाबा भारती ने खड्गसिंह से वचन लिया कि इस घटना की चर्चा वह किसी से न करे, क्योंकि यदि लोग इस धोखे की बात जान गए तो कोई भी किसी असहाय या गरीब पर विश्वास नहीं करेगा।
सोच-विचार के लिए
कहानी को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित पंक्ति के विषय में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
"दोनों के आँसुओं का उस भूमि की मिट्टी पर परस्पर मेल हो गया।"
(क) किस-किस के आँसुओं का मेल हो गया था?
उत्तर- उस भूमि की मिट्टी पर बाबा भारती और डाकू खड्गसिंह – दोनों के आँसू आपस में मिल गए।
(ख) दोनों के आँसुओं में क्या अन्तर था?
उत्तर- बाबा भारती की आँखों से बहते आँसू अपने प्रिय घोड़े के लौट आने की खुशी और मानवीय करुणा से भरे हुए थे। वहीं, खड्गसिंह की आँखों से गिरे आँसू पश्चाताप और आत्मग्लानि की अग्नि में तपते हृदय की अभिव्यक्ति थे। इस प्रकार बाबा भारती के आँसू संतोष और क्षमा के प्रतीक थे, जबकि खड्गसिंह के आँसू पछतावे और हृदय-परिवर्तन के प्रतीक।
मुहावरे कहानी से
(क) कहानी से चुनकर कुछ मुहावरे नीचे दिए गए हैं - लट्टू होना, हृदय पर साँप लोटना, फूले न समाना, मुँह मोड़ लेना, मुख खिल जाना, न्योछावर कर देना। कहानी में इन्हें खोजकर इनका प्रयोग समझिए।
उत्तर -
(i) लट्टू होना - बाबा भारती अपने घोड़े की चाल पर लट्टू थे।
(ii) हृदय पर साँप लोटना- सुल्तान की चाल देखकर खड्गसिंह के हृदय पर साँप लोट गया।
(iii) फूले न समाना - सुल्तान के शरीर व उसके रंग को देखकर बाबा भारती फूले न समाते थे।
(iv) मुँह मोड़ लेना - बाबा भारती ने सुल्तान की ओर से इस तरह मुँह मोड़ लिया जैसे उनका उससे कोई संबंध ही न रहा हो।
(v) मुख खिल जाना - घोड़े को देखकर बाबा भारती का मुख फूल की नाई खिल जाता था।
(vi) न्योछावर कर देना- बाबा भारती ने अपना सब कुछ घोड़े पर न्योछावर कर दिया।
(ख) अब इनका प्रयोग करते हुए अपने मन से नए वाक्य बनाइए।
उत्तर-
1. लट्टू होना (मोहित होना) – बाबा भारती अपने घोड़े सुल्तान की सुंदर चाल पर लट्टू हो जाया करते थे।
2. हृदय पर साँप लोटना (ईर्ष्या होना) – जब खड्गसिंह ने सुल्तान की चाल देखी, तो उसके हृदय पर साँप लोट गया।
3. फूले न समाना (अत्यधिक प्रसन्न होना) –सुल्तान के बल और रूप को देखकर बाबा भारती फूले न समाते थे।
4. मुँह मोड़ लेना (लगाव छोड़ देना) – घोड़ा छिन जाने के बाद बाबा भारती ने सुल्तान की ओर से मुँह मोड़ लिया।
5. मुख खिल जाना (खुशी से दमक उठना) – अस्तबल में जाते ही सुल्तान को देखकर बाबा भारती का मुख खिल उठता था।
6. न्योछावर कर देना (सब कुछ अर्पित कर देना) – बाबा भारती ने अपना समय, सेवा और स्नेह सब कुछ सुल्तान पर न्योछावर कर दिया।
कैसे-कैसे पात्र
प्रश्न - इस कहानी में तीन मुख्य पात्र हैं- बाबा भारती, डाकू खड्गसिंह और सुल्तान घोड़ा। इनके गुणों को बताने वाले शब्दों से दिए गए शब्द-चित्रों को पूरा कीजिए
आपने जो शब्द लिखे हैं, वे किसी की विशेषता, गुण और प्रकृति के बारे में बताने के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। ऐसे शब्दों को विशेषण कहते हैं।
पाठ से आगे – प्रश्न अभ्यास
मन के भाव
(क) कहानी में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। बताइए, कहानी में कौन, कब, ऐसा अनुभव कर रहा था -
• प्रसन्नता
• करुणा
• चकित
• निराशा
• अधीर
• डर
1. प्रसन्नता – सुल्तान की पीठ पर सवार होकर घूमने जाते समय बाबा भारती के चेहरे पर प्रसन्नता झलकती थी।
2. करुणा – अपाहिज का वेश बनाकर बैठे खड्गसिंह की पुकार सुनकर बाबा भारती के हृदय में करुणा उमड़ पड़ी।
3. चकित – जब खड्गसिंह ने सुल्तान को पहली बार देखा तो उसकी सुंदरता देखकर चकित रह गया।
4. निराशा – स्नान कर लौटने पर जब बाबा भारती ने अस्तबल में सुल्तान को गायब पाया तो वे निराश हो उठे।
5. अधीर – घोड़े की प्रशंसा सुनने के लिए बाबा भारती अधीर हो उठे और खड्गसिंह भी घोड़े को पाकर अधीर हो गया।
6. डर – जब खड्गसिंह ने बाबा भारती से कहा कि यह घोड़ा आपके पास नहीं रहने दूँगा, तब बाबा भारती डर गए।
(ख) आप उपर्युक्त भावों को कब-कब अनुभव करते हैं ? लिखिए। (संकेत- जैसे गली में किसी कुत्ते को देखकर डर या प्रसन्नता या करुणा आदि का अनुभव करना।)
1. प्रसन्नता – परीक्षा में अच्छे अंक आने पर मन प्रसन्न हो जाता है।
2. निराशा – जब मेहनत करने के बाद भी मनचाहा परिणाम न मिले तो निराशा होती है।
3. चकित – जब मैंने पहली बार समुद्र की लहरें देखीं, तो मैं चकित रह गया।
4. करुणा – सड़क पर किसी गरीब को भीख माँगते देखकर मन में करुणा जगती है।
5. डर – अँधेरे में अचानक कुत्ते के भौंकने पर डर लग जाता है।
6. अधीर – जन्मदिन पर उपहार खोलने के लिए मैं अधीर हो जाता हूँ।

