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"मातृभूमि – कक्षा 6 हिंदी पाठ | Class 6 Hindi Chapter Matribhumi with question and answer

"कक्षा 6 हिंदी पाठ 'मातृभूमि' का पहला पृष्ठ – तिरंगा पकड़े बच्चे, हिमालय पर्वत, गंगा-यमुना और देशभक्ति से भरपूर कविता। | Class 6 Hindi Chapter 'Matribhumi' first page showing kids with Indian flag, Himalayas, and patriotic poem."

हिंदी (मल्हार) कक्षा 6 वीं 
पाठ 1 - मातृभूमि         
कवि - सोहनलाल द्विवेदी        

 

1. ऊँचा खड़ा हिमालय, आकाश चूमता है, नीचे चरण तले झुक, नित सिंधु झूमता है।

 

संदर्भ: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक 'मल्हार' के 'मातृभूमि' नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि  सोहनलाल द्विवेदी जी हैं।

प्रसंग: प्रस्तुत कविता में कवि ने अपनी मातृभूमि की प्राकृतिक सुंदरता का अत्यंत मनमोहक वर्णन किया है।

अर्थ: कवि कहता है कि भारत का हिमालय पर्वत इतना विशाल और ऊँचा है कि मानो वह आकाश को चूम रहा हो। उसके चरणों में, यानी दक्षिण की ओर, सिंधु नदी (और अन्य नदियाँ) सदा बहती रहती हैं, जो उसकी महानता के सामने नतमस्तक होकर बहती हुई प्रतीत होती हैं। यह पंक्ति हिमालय की अडिगता और भारत की सीमा की सुरक्षा का प्रतीक है।

 

2. गंगा जमुना त्रिवेणी, नदियाँ लहर रही हैं, जगमग छटा निराली, पग पग छहर रही है।

 

संदर्भ: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक 'मल्हार' के 'मातृभूमि' नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि  सोहनलाल द्विवेदी जी हैं।

 प्रसंग: कवि ने त्रिवेणी संगम का वर्णन करते हुए वहाँ की प्राकृतिक छटा को अद्भुत रूप से प्रस्तुत किया है।

 अर्थ: इस पद में भारत की पवित्रतम नदियाँ गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम (त्रिवेणी) का उल्लेख है। कवि कहते हैं कि इन नदियों की लहरें अपने साथ एक अद्भुत और दिव्य चमक बिखेर रही हैं। इनकी पवित्रता और सुंदरता इतनी मनमोहक है कि हर कदम पर एक अनोखी शांति और दिव्यता का अनुभव होता है। यह पंक्तियाँ भारतीय संस्कृति में नदियों के आध्यात्मिक महत्व को उजागर करती हैं।

 

3. वह पुण्य-भूमि मेरी, वह स्वर्ग-भूमि मेरी। वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।

 

संदर्भ: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक 'मल्हार' के 'मातृभूमि' नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि  सोहनलाल द्विवेदी जी हैं।

प्रसंग: यह पंक्ति मातृभूमि के प्रति प्रेम भावना को व्यक्त करती है

अर्थ: यह कविता की केंद्रीय पंक्तियाँ हैं। कवि यहाँ अपने देश को अलग-अलग विशेषणों से संबोधित करते हुए उसके प्रति अपनी गहरी भावनाओं को व्यक्त करते हैं।

   * पुण्य-भूमि: क्योंकि यह वह भूमि है जहाँ धर्म, अध्यात्म और मानवता के महान सिद्धांत विकसित हुए।

   * स्वर्ग-भूमि: क्योंकि इसकी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्धि और शांति किसी स्वर्ग से कम नहीं है।

   * जन्म-भूमि: क्योंकि यह वह स्थान है जहाँ हमारा जन्म हुआ है और जिससे हमारी पहचान जुड़ी है।

   * मातृभूमि: यह सबसे गहरा संबोधन है, जो माँ और संतान के बीच के अटूट रिश्ते को दर्शाता है।



4. झरने अनेक झरते, जिसकी पहाड़ियों में, चिड़ियाँ चहक रही हैं, हो मस्त झाड़ियों में

 

संदर्भ: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक 'मल्हार' के 'मातृभूमि' नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि  सोहनलाल द्विवेदी जी हैं।

प्रसंग: इस पंक्ति में कवि ने प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है

अर्थ: इन पंक्तियों में कवि भारत की प्राकृतिक सुंदरता का और अधिक जीवंत चित्रण करते हैं। वे बताते हैं कि इस पावन भूमि की पहाड़ियों से अनगिनत झरने बहते हैं, जो यहाँ की हरियाली को जीवन देते हैं। इन हरे-भरे जंगलों और झाड़ियों में चिड़ियाँ खुशी से चहकती रहती हैं, जिससे वातावरण में एक मधुर संगीत और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह दृश्य प्रकृति और जीवन के सामंजस्य को दर्शाता है।

 

5.अमराइयाँ नी है,कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है,तन-मन संवारती है।

 

संदर्भ: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक 'मल्हार' के 'मातृभूमि' नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि  सोहनलाल द्विवेदी जी हैं।

 प्रसंग: कवि सोहनलाल द्विवेदी ने इस कविता में भारत की प्राकृतिक सुंदरता और शांति का वर्णन किया है।

 अर्थ: कवि कहते हैं कि इस भूमि पर आम के बाग छाए हुए हैं, जहाँ कोयल मीठे स्वर में गाती है। मलय पर्वत से आने वाली शीतल और सुगंधित हवा यहाँ बहती है, जो शरीर और मन को शांति और ताजगी प्रदान करती है।

 

6.वह धर्मभूमि मेरी,वह कर्मभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी,वह मातृभूमि मेरी।

 

संदर्भ: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक 'मल्हार' के 'मातृभूमि' नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि  सोहनलाल द्विवेदी जी हैं।

 प्रसंगइन पंक्तियों में मातृभूमि के प्रति अपने गर्व और प्रेम को बहुत ही स्पष्ट और प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया है।

 अर्थ: कवि इस भूमि को अपनी धर्मभूमि (जहाँ धर्म का पालन होता है), कर्मभूमि (जहाँ कर्म किए जाते हैं), जन्मभूमि (जहाँ उनका जन्म हुआ) और मातृभूमि (अपनी माँ के समान) मानते हुए गर्व करते हैं।

 

7. जन्मे जहाँ थे रघुपति,जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई,वंशी पुनीत गीता।

 

संदर्भ: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक 'मल्हार' के 'मातृभूमि' नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि  सोहनलाल द्विवेदी जी हैं।

प्रसंग: कवि ने इन पंक्तियों में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाया है।

पंक्तियाँ:

 अर्थ: कवि कहते हैं कि यह वही पवित्र भूमि है जहाँ भगवान राम (रघुपति) का जन्म हुआ था और माता सीता जन्मी थीं। यह वही भूमि है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बंसी की मधुर धुन के साथ पवित्र गीता का उपदेश दिया था।

 

8.गौतम ने जन्म लेकर,जिसका सुयश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई,जग को दिया दिखाया।

 

संदर्भ: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक 'मल्हार' के 'मातृभूमि' नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि  सोहनलाल द्विवेदी जी हैं।

प्रसंग: कवि ने इन पंक्तियों में गौतम बुद्ध की शिक्षाओं और उनके प्रभाव को दर्शाया है।

अर्थ: यह वह भूमि है जहाँ भगवान बुद्ध (गौतम) ने जन्म लिया, जिन्होंने इस भूमि की ख्याति (सुयश) को विश्वभर में फैलाया। उन्होंने संसार को दया का पाठ पढ़ाया और सही मार्ग दिखाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाया।

 

9.वह युद्ध-भूमि मेरी,वह बुद्ध-भूमि मेरी।
वह मातृभूमि मेरी,वह जन्मभूमि मेरी।  

 

संदर्भ: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक 'मल्हार' के 'मातृभूमि' नामक पाठ से लिया गया है। इसके कवि  सोहनलाल द्विवेदी जी हैं।

प्रसंग: कवि ने इन पंक्तियों में मातृभूमि के प्रति अपने गर्व और प्रेम को बहुत ही स्पष्ट और प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया है।

अर्थ: कवि कहते हैं कि यह भूमि युद्ध की भी भूमि है (जहाँ धर्म की रक्षा के लिए युद्ध लड़े गए) और शांति के प्रतीक बुद्ध की भी भूमि है। यह मेरी मातृभूमि और जन्मभूमि है।

 

पाठ से

मेरी समझ से —

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है?उसे सामने तारा (*)  बनाइए-

 

(1) हिन्द महासागर के लिए कविता में कौन-सा शब्द आया है?

चरणहिमालयमेरीसिंधु

उत्तर-सिंधु *

 

(2) मातृभूमि कविता में मुख्य रूप से-

भारत की प्रशंसा की गई है।

भारत के महापुरूषों की जय की गई है।

भारत की प्राकृतिक सुंदरता की  सराहना की गई है।

भारतवासियों की वीरता का बखान किया गया है।

उत्तर-भारत की प्रशंसा की गई है। *

 

(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बनाइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?

उत्तर- (1) हिन्दू महासागर का प्राचीन नाम "सिंधु महासागर" जो प्राचीन भारतीयो द्वारा रखा गया था। भारत का नाम इस सागर या इस नाम हिन्द महासागर रखा गया। कविता में सोलोमन का द्विवेदी ने हिन्द महासागर से अवगत के कारण हमे सिंधु नाम से पुकारा इसलिए 'सिंधु' विकल्प का चयन करना होगा।

(2) 'मातृभूमि' कविता में हिमालय, यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, यहाँ के महापुरूषों तथा देशवासियों की वीरता सभी का वर्णन किया गया है। इसमें पूरे भारत के गौरव का गुणगान किया गया है। इसलिए 'भारत की ही प्रशंसा की गई है', विकल्प का चयन उचित है।


मिलकर करे मिलान –

पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।

 


शब्द अर्थ या संदर्भ उत्तर
1.  हिमालय 1. एक प्रसिद्ध महापुरुष, बौद्ध धर्म के प्रवर्तक। भारत की उत्तरी सीमा पर फैली पर्वत-माला।
2. त्रिवेणी 2. वसुदेव के पुत्र वासुदेव। तीन नदियों की मिली हुई धारा, संगम।
3. मलय पवन 3. भारत की प्रसिद्ध नदियाँ। दक्षिणी भारत के मलय पर्वत से चलने वाली सुगंधित वायु।
4. सिंधु 4. तीन नदियों की मिली हुई धारा, संगम। समुद्र, एक नदी का नाम।
5. गंगा-यमुना 5. श्री रामचंद्र का एक नाम, दशरथ के पुत्र। भारत की प्रसिद्ध नदियाँ।
6. रघुपति 6. दक्षिणी भारत के मलय पर्वत से चलने वाली सुगंधित वायु। श्री रामचंद्र का एक नाम, दशरथ के पुत्र।
7. श्री कृष्ण 7. एक प्रसिद्ध और प्राचीन ग्रंथ 'श्रीमद्भगवद्गीता', इसमें वे प्रश्न-उत्तर और संवाद हैं जो महाभारत में श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच हुए थे। वसुदेव के पुत्र वासुदेव।
8. सीता 8. समुद्र, एक नदी का नाम। जनक की पुत्री, जानकी।
9. गीता 9. जनक की पुत्री, जानकी। एक प्रसिद्ध और प्राचीन ग्रंथ 'श्रीमद्भगवद्गीता', इसमें वे प्रश्न-उत्तर और संवाद हैं जो महाभारत में श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच हुए थे।
10. गौतम बुद्ध 10. भारत की उत्तरी सीमा पर फैली पर्वत-माला। एक प्रसिद्ध महापुरुष, बौद्ध धर्म के प्रवर्तक।

 


 पंक्तियों पर चर्चा-

कविता में से चुनकर  कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार कक्षा में अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए -

 "यह बुद्ध-भूमि मेरी, यह बुद्ध-भूमि मेरी। यह मातृभूमि मेरी, यह जन्म भूमि मेरी।

 

 उत्तर यह पंक्तियाँ गहरा देशभक्ति का भाव प्रकट करती हैं। इनका सरल और प्रभावशाली अर्थ कुछ इस प्रकार है:यह धरती मेरी है, यह बुद्ध-भूमि मेरी है, यह जन्मभूमि** मेरी है। यह मेरी मातृभूमि है, और मैं इसी भूमि में जन्मा हूँ। इन पंक्तियों में, कवि इस बात पर जोर देते हैं कि यह भूमि सिर्फ एक भौगोलिक स्थान नहीं, बल्कि एक पवित्र और आध्यात्मिक स्थल भी है। इस भूमि पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ, और यहीं पर उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया। यह भूमि मेरी मातृभूमि है, जिसने मुझे जन्म दिया है, और यह मेरे लिए किसी मंदिर से कम नहीं है। यह मेरे लिए एक पवित्र भूमि है, और यह मुझे अपने पूर्वजों और संस्कृति से जोड़ती है। यह पंक्तियां किसी व्यक्ति के अपने देश के प्रति प्रेम, श्रद्धा और गर्व को व्यक्त करती हैं।

    

 

सोच विचार के लिए 

 

() कविता को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।

  

 1. कोयल कहा‌ं रहती हैं?

उत्तर कोयल पेड़ में रहती हैं

 

2. तन – मन कौन संवारती हैं?

उत्तर तन मन मलय हवा संवारती हैं?

 

3. झरने कहां से गिरते हैं

उत्तर झरने पर्वतों से गिरते हैं

 

4.श्री कृष्ण ने क्या सुनाया था?

उत्तर श्री कृष्ण ने गीत सुनाया था।

 

5. गौतम ने किसका यश बढ़ाया

उत्तर गौतम बुद्ध ने भारत का यश बढ़ाया।

 

() "नदियां लहर रही है 

       पग पग छहर रही है" 

लहर का अर्थ- पानी की हिलोरा, जोश, उमंग, वेग,मौज  

छहर का अर्थ - छिटकना, छितराना, बिखरना, फैलाना 


कविता पढ़कर पता लगाइए और लिखिए -

  

🌞 कहां-कहां छटा छहर रही है?

उत्तर -प्रयागराज में जहां गंगा यमुना और सरस्वती तीनों नदियां आपस में संगम होती हैं उसके आसपास दूर-दूर तक लहरों अर्थात धाराएं छहर रही हैं और उसके सुंदरता को चारों ओर से बिखर रही है जो मन मोहने वाली है

 🌞 किसका पानी लहर रहा है

उत्तर प्रयागराज में स्थित तीनों नदियां गंगा यमुना सरस्वती लहर लहर कर बह रही है ऐसा लगता है मानो तीनों नदियां मिलकर अपनी ख़ुशी व्यक्त कर रही हैं।



कविता की रचना-

 

"गंगा यमुना त्रिवेणी 

नदियां लहर रही है" 

यमुनाशब्द यहाँयमुनानदी के लिए आया है। कभी-कभी कवि कविता की लय और सौंदर्य को बढ़ाने के लिए इस प्रकार के शब्दों को थोड़ा बदल देते हैं। यदि आप कविता को थोड़ा और ध्यान से पढ़ेंगे तो आपको और भी बहुत-सी विशेषताएँ पता चलेंगी। आपको जो विशेष बातें दिखाई दें, उन्हें आपस में साझा कीजिए और लिखिए। जैसे सबसे ऊपर इस कविता का एक शीर्षक है।

उत्तर -

 * सिंधु झूमता

 * नदियाँ लहर रही हैं

 * बुद्ध-भूमि मेरी

 * नदी के चरण तले झुके

 * झरने अनेक झरते

 * बुद्धभूमि मेरी

 

 मिलान करो-

 स्तंभ 1 और स्तंभ 2 में कुछ पंक्तियां दी गई है मिलते-जुलते भाव वाले पंक्तियों को रेखा खींचकर जोड़ी-

स्तंभ 1 स्तंभ 2 उत्तर
1. वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी। 1. यहाँ आम के घने उद्यान हैं, जिनमें कोयल आदि पक्षी चहचहा रहे हैं। मैंने उस भूमि पर जन्म लिया है। वह भूमि मेरी माँ के समान है।
2. चिड़ियाँ चहक रही है, हो मस्त झाड़ियाँ। 2. मैंने उस भूमि पर जन्म लिया है। वह भूमि मेरी माँ के समान है। यहाँ की जलवायु इतनी सुखदायी है कि पक्षी पेड़-पौधों के बीच प्रसन्नता से गीत गा रहे हैं।
3. अमराइयों घनी, कोयल पुकारती है। 3. यहाँ की जलवायु इतनी सुखदायी है कि पक्षी पेड़-पौधों के बीच प्रसन्नता से गीत गा रहे हैं। यहाँ आम के घने उद्यान हैं, जिनमें कोयल आदि पक्षी चहचहा रहे हैं।


  

 अनुमान या कल्पना से-

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए 

() "अमराईया घनी है कोयल पुकारती है" 

कोयल क्यों पुकार रही होगी? किसे पुकार रही होगी ?कैसे पुकार रही होगी?

उत्तर कोयल अपनी खुशी बांटने के लिए पुकार रही होगी कोयल अपने साथी और बच्चों को पुकार रही होगी जो उसके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कोयल मधुर आवाज़ में पुकार रही होगी

 

() "बाटी मलाई पवन है तन मन संवारती है"

 पवन किसका तन मन संवारती है? वह यह कैसे करती है?

उत्तर पवन या वायु का प्रभाव हर किसी पर हो सकता है लेकिन विशेष रूप से प्राकृतिक प्रेमियों और कवियों पर इसका प्रभाव होता है मलय पवन शीतलता सुगंधता और शांति प्रदान करके तन मन को संवारती है

 

शब्दों के रूप

नीचे शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियां दी गई है। इन्हें करने के लिए आप शब्दकोश अपने शिक्षकों और साथियों की सहायता भी ले सकते हैं

() नीचे दी गई पंक्तियों को पढ़िए 

"जगमग छटा निराली 

 पग पग छहर रही हैं।

इस पंक्तियों में "पग" शब्द दो बार आया है इसका अर्थ ‘हर पग’ या ‘हर कदम’ पर। 

 

शब्दों के ऐसे ही कुछ जोड़े नीचे दिए गए हैं। उनके अर्थ लिखिए –

 

1.घर- घर          उत्तर प्रत्येक घर 

2. बाल- बाल      उत्तर प्रत्येक बालक

3.सांस -सांस      उत्तर हर सांस

4. देश -देश        उत्तर प्रत्येक देश

5.पर्वत -पर्वत।    उत्तर हर पर्वत 


() "वह युद्ध भूमि मेरी‚ 

वह बुद्ध भूमि मेरी" 

कविता में भूमि शब्द में अलग-अलग शब्द जोड़कर नया-नया शब्द बनाएं गए हैं आप भी कुछ नए शब्द बनाइए और उसके अर्थ पता कीजिए–

(संकेत – तप,देव, भारत, जन्म, कर्म,कर्तव्य, मरु,मलय, मल्ल,यज्ञ,रंग, रण, सिद्ध आदि)

1. तप 

नए शब्द –तपोभूमि 

अर्थ – वह भूमि जहां तपस्वी तपस्या करते हैं

2. देव 

नए शब्द – देवभूमि 

अर्थ – देवताओं के निवास की भूमि 

3. भारत 

नए शब्द –भारत भूमि

अर्थ – भारतवर्ष की भूमि 

4.  जन्म 

नए शब्द – जन्मभूमि 

अर्थ – जिस भूमि पर हमने जन्म लिया 

5. कर्म 

नए शब्द – कर्मभूमि 

अर्थ – हमारे कर्म क्षेत्र की भूमि 

6. कर्तव्य 

नए शब्द – कर्तव्य भूमि 

 अर्थ – कर्तव्य की भूमि 

7. मरू

नए शब्द – मरुभूमि 

अर्थ – मरुस्थल वाली भूमि 

8. यज्ञ 

नए शब्द – यज्ञभूमि

अर्थ – यज्ञ करने का स्थल 

9. रंग 

नए शब्द – रंगभूमि 

अर्थ – नाट्यशाला 

10. रण

नए शब्द –रणभूमि

अर्थ – युद्ध क्षेत्र 

11. सिद्ध 

 नए शब्द – सिद्ध भूमि

अर्थ –ऐसी भूमि जहां लोगों को सिद्धियां प्राप्त हो

  

 थोड़ा भिन्न ,थोड़ा सामान 

 नीचे दी गई पंक्तियों को पढ़िए –

 "जग को दया सिखाई,

 जग को दिया सिखाया,

‘दया’ और ‘दिया’ में केवल एक  मात्रा का अंतर है लेकिन इस एक मात्रा के कारण शब्द का अर्थ पूरी तरह बदल गया है आप भी अपने समूह में मिलकर ऐसे शब्दों को सूची बनाकर जिनमें केवल एक मात्रा का अंतर हो जैसे – घड़ा– घडी।

उत्तर- 1. चिंता–चिंता,

2. दिन–दीन, 

3.मेल–मैला,

4. बेर–बेर, 

5.चैन–चैन, 

6.बेल–बैल, 

7.सीन–सोंट, 

8.कल–काल, 

9.गाता–गोता, 

10.काल–काली, 

11.कला–केला, 

12.कमल–कोमल, 

13.कर–कार आदि।

 











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