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कक्षा 10 हिंदी पाठ 1.1 —चंद्रगहना से लौटती बेर

 




प्रश्न 1. अलसी के मनोभावों का वर्णन कीजिए?

उत्तर: 'चंद्र गहना से लौटती बेर' कविता में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने अलसी के पौधे को मानवीकृत रूप में प्रस्तुत करते हुए उसके मन के भावों को अत्यंत सुंदरता से व्यक्त किया है। कवि अलसी को एक ऐसी दुबली-पतली, लचीली देह वाली नायिका के रूप में देखते हैं जो प्रेम और समर्पण के भाव से भरी है।

अलसी की यह 'दुबली-पतली' काया दर्शाती है कि वह भले ही कमजोर दिखती हो, पर उसमें एक दृढ़ता और कोमलता एक साथ है। उस पर खिले नीले फूल कवि को ऐसे लगते हैं जैसे वह किसी प्रेम प्रस्ताव की प्रतीक्षा में खड़ी हो। यह भी भाव आता है कि अलसी दूसरों को अपना हृदय अर्पित करने को तैयार है – "जो छुए यह दान हृदय का" – यह पंक्ति उसके निस्वार्थ प्रेम और उदारता को प्रकट करती है। वह इतनी सीधी और सरल है कि बिना किसी लाग-लपेट के अपना सब कुछ देने को प्रस्तुत है। इस प्रकार, कवि ने अलसी के माध्यम से प्रकृति की सरलता, समर्पण और निश्छल प्रेम के भावों को कुशलता से चित्रित किया है।


प्रश्न 2. विजन किसी व्यापारिक नगर से क्यों श्रेष्ठ है?

उत्तर: 'चंद्र गहना से लौटती बेर' कविता में कवि ने विजन (निर्जन स्थान या एकांत प्रकृति) को व्यापारिक नगरों से कहीं अधिक श्रेष्ठ बताया है। इसका कारण यह है कि व्यापारिक नगरों में जहाँ निरंतर कोलाहल (शोर), प्रदूषण और संवेदनहीनता व्याप्त होती है, वहीं विजन स्थल इन सभी नकारात्मकताओं से मुक्त होता है।

कवि के अनुसार, विजन वह स्थान है जहाँ प्रकृति अपने मूल और उपजाऊ रूप में विद्यमान है, जहाँ चारों ओर मन को मोह लेने वाली सुंदरता फैली हुई है। यहाँ की शांति, शुद्धता और प्राकृतिक सौंदर्य व्यक्ति को आंतरिक सुकून प्रदान करता है और उसे प्रकृति के साथ सीधा जुड़ाव महसूस कराता है। इस प्रकार, व्यापारिक नगरों का कृत्रिम और व्यस्त जीवन जहाँ मन को अशांत करता है, वहीं विजन की नैसर्गिक सुंदरता और शांति मनुष्य के लिए वास्तविक आनंद और श्रेष्ठता का अनुभव कराती है।


प्रश्न 3. काले माथे वाली चिड़िया किस तरह से मछली पकड़ती है?

उत्तर: 'चंद्र गहना से लौटती बेर' कविता में काले माथे वाली चिड़िया को अत्यंत चतुर और फुर्तीला दर्शाया गया है। यह चिड़िया दूर ऊँचे आसमान से ही तालाब में तैरती हुई सफेद मछली को पहचान लेती है। जैसे ही उसे मौका मिलता है, वह अचानक बिजली की तेज़ी से नीचे आती है और तालाब की सतह यानी पानी के ठीक ऊपर आक्रमण करके अपनी पीली चोंच में मछली को कुशलता से दबाकर तुरंत उड़ जाती है। यह दृश्य प्रकृति की शिकार-प्रणाली की अद्भुत गति और दक्षता को दर्शाता है।



प्रश्न 4. "बांधे मुरैठा शीश पर" इस पंक्ति के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर: "बांधे मुरैठा शीश पर" इस पंक्ति के माध्यम से कवि केदारनाथ अग्रवाल प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य और सादगी में छिपी शोभा का वर्णन करना चाहते हैं। यहाँ कवि चने के छोटे से पौधे को एक ग्रामीण युवक के रूप में देखते हैं, जिसने अपने सिर पर गुलाबी रंग का 'मुरैठा' (पगड़ी) बाँध रखा है। यह पंक्ति दर्शाती है कि साधारण और छोटे से दिखने वाले चने के पौधे में भी कवि को एक विलक्षण सौंदर्य और शान दिखाई देती है। कवि इस पंक्ति से यह भी कहना चाहते हैं कि आज के शहरीकरण और तेज़ गति वाले जीवन के बीच भी, प्रकृति अपनी संवेदनशीलता और सुंदरता को सुरक्षित रखे हुए है। यह हमें प्राकृतिक संस्कृति की एकता और सहज सौंदर्य का बोध कराती है, जहाँ हर छोटी चीज़ भी अपनी गरिमा और सुंदरता रखती है।



प्रश्न 5. "देखता हूँ मैं स्वयंवर हो रहा है, प्रकृति का अनुराग अंचल हिल रहा है।" इन पंक्तियों में प्रकृति के किस दृश्य की ओर संकेत किया गया है?

उत्तर: 'चंद्र गहना से लौटती बेर' कविता की इन पंक्तियों में कवि केदारनाथ अग्रवाल प्रकृति में चल रहे एक अनुपम और मनमोहक दृश्य की ओर संकेत कर रहे हैं – मानो प्रकृति में एक 'स्वयंवर' का आयोजन हो रहा हो। यहाँ 'स्वयंवर' का तात्पर्य है कि चने, अलसी और सरसों जैसी विभिन्न फसलें, जो खेत में पास-पास उगी हैं, वे एक-दूसरे से प्रेम और अनुराग के बंधन में बंध रही हैं।

कवि को ऐसा प्रतीत होता है कि प्रकृति स्वयं इन फसलों पर अपना प्रेम रूपी आँचल लहरा रही है, जैसे फागुन की हवा इन पौधों को धीरे-धीरे हिला रही हो। यह दृश्य केवल पौधों का बढ़ना नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रेम और जीवन के उल्लास को दर्शाता है, जहाँ सभी तत्व एक-दूसरे के साथ सामंजस्य बिठाते हुए खिल रहे हैं और स्वयं एक-दूसरे का चुनाव कर रहे हैं। यह प्रकृति के जीवंत और परस्पर जुड़े हुए रूप का वर्णन है।


प्रश्न 6. प्रेम की प्रिय भूमि को अधिक उपजाऊ क्यों बताया गया है?

उत्तर: कवि ने प्रेम की प्रिय भूमि को अन्य जगहों से अधिक उपजाऊ इसलिए बताया है क्योंकि जब कोई व्यक्ति प्रकृति के अनुपम सौंदर्य और शांति को देखता है, तो उसका हृदय प्रेम और भावुकता से भर जाता है। ऐसा मनमोहक दृश्य देखकर कवि के मन में प्रेम के नए बीज अंकुरित होने लगते हैं।

यह उपजाऊपन भौतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और आध्यात्मिक है। जिस प्रकार एक उपजाऊ भूमि में डाले गए बीज शीघ्र फलते-फूलते हैं, उसी प्रकार प्रेम की भूमि में बोए गए संवेदना और अनुराग के भाव बहुत तेज़ी से बढ़ते और विकसित होते हैं। प्रकृति का सान्निध्य मनुष्य को प्रेम, करुणा और सौहार्द जैसे मानवीय गुणों के विकास के लिए एक आदर्श वातावरण प्रदान करता है, जिससे उसका मन प्रेम से ओत-प्रोत हो उठता है और वह अधिक संवेदनशील बन जाता है।


प्रश्न 7. निम्नलिखित पंक्तियों के भावार्थ लिखिए-

(क) एक चाँदी का बड़ा - सा गोल खम्बा आँख को है चकमकाता।

(ख) सुन पड़ता है वनस्पति का हृदय चीरता उठता - गिरता सारस का स्वर।


उत्तर:

(क) एक चाँदी का बड़ा - सा गोल खम्बा आँख को है चकमकाता।

भावार्थ: इस पंक्ति के माध्यम से कवि केदारनाथ अग्रवाल ने तालाब के जल में सूर्य की किरणें पड़ने से उत्पन्न होने वाले अद्भुत दृश्य का वर्णन किया है। जब सूर्य का प्रकाश तालाब के स्थिर जल पर पड़ता है, तो उसका प्रतिबिंब एक लंबी और चमकदार चाँदी के खंभे जैसा दिखाई देता है। यह दृश्य इतना चमकीला और आकर्षक है कि आँखों को अपनी ओर खींच लेता है और उन्हें चकाचौंध कर देता है। कवि ने यहाँ सूर्य के प्रतिबिंब की सुंदरता को एक विशाल, चमचमाते चाँदी के खंभे से तुलना करके प्रकृति के सौंदर्य की भव्यता और उसकी चमक को प्रभावी ढंग से व्यक्त किया है।


(ख) सुन पड़ता है वनस्पति का हृदय चीरता उठता - गिरता सारस का स्वर।

भावार्थ: इस पंक्ति में कवि प्रकृति की निस्तब्ध शांति और उसमें अचानक घुल जाने वाली सारस की आवाज़ का मार्मिक चित्रण करते हैं। यहाँ 'वनस्पति का हृदय चीरता' का अर्थ यह है कि चारों ओर फैली हुई घनी वनस्पति और शांत वातावरण को चीरते हुए, यानी उसमें से आर-पार होते हुए, सारस पक्षी का तीव्र स्वर सुनाई देता है। यह स्वर इतना स्पष्ट और भेदनशील है कि वह पूरी शांति को भंग कर देता है, जैसे वह वनस्पति के हृदय तक पहुँच रहा हो। 'गिरता सारस का स्वर' से कवि यह बताना चाहते हैं कि यह आवाज़ हवा में गूँजती हुई नीचे आती है और शांत वातावरण में स्पष्ट रूप से अनुभव की जा सकती है। यह दृश्य प्रकृति की विशालता में जीवन की उपस्थिति और उसकी ध्वनियों के प्रभाव को दर्शाता है।


पाठ से आगे —


प्रश्न 1. अपने आस-पास के किसी प्राकृतिक स्थल का वर्णन कीजिए, जिसके दृश्य आपको इस पाठ को पढ़ते समय याद आ जाते हैं।

उत्तर: 'चंद्र गहना से लौटती बेर' कविता को पढ़ते हुए मुझे अपने छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित कई प्राकृतिक स्थलों की याद आती है, खासकर मेरे गाँव के पास के उन खेतों और वनों की जहाँ प्रकृति अपने अनुपम रूप में विद्यमान है। यहाँ घना वनक्षेत्र है जहाँ विभिन्न ऋतुओं में प्रकृति का अलग-अलग सुंदर रूप देखने को मिलता है। वन प्राणियों और पक्षियों की चहचहाहट से वातावरण जीवंत रहता है।

खेतों में लहलहाती फसलें और उनके बीच बहती स्वच्छ जलधाराएँ मन को मोह लेती हैं। ये दृश्य इतने शांत और सुंदर होते हैं कि उन्हें देखकर ऐसा लगता है मानो कोई अपनी मधुर धुन में गीत गा रहा हो। शहरी कोलाहल और प्रदूषण से दूर ये स्थान हमें प्रकृति के वास्तविक और शुद्ध सौंदर्य का अनुभव कराते हैं, जहाँ हरियाली, शांत नदियाँ और पक्षियों का मधुर कलरव मन को असीम शांति प्रदान करता है।



प्रश्न 2. एक कोलाहल भरे घनी आबादी वाले नगर तथा शांत ग्रामीण अंचल की तुलना कीजिए और बताइए कि दोनों में से कौन-कौन सी बातें आपको पसंद हैं और कौन-कौन सी नापसंद। अपनी पसन्दगी और नापसन्दगी का कारण भी लिखते हुए इसे एक तालिका के माध्यम से दर्शाइए।

उत्तर: कोलाहल भरे घनी आबादी वाले नगर और शांत ग्रामीण अंचल के बीच गहरा अंतर होता है। यहाँ दोनों की तुलना और मेरी पसंद-नापसंद को एक तालिका के माध्यम से दर्शाया गया है:



विवरण कोलाहल  भरे घनी आबादी वाले नगर  शांत ग्रामीण क्षेत्र
पसंदीदा बातें - रोजगार (शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन)
- अवसर (रोजगार, व्यापार)
- स्वच्छ वातावरण (शुद्ध हवा, पानी)
अजीब बातें - प्रदूषण (वायु, ध्वनि) - सुविधाओं का अभाव (अच्छे स्कूल/अस्पताल की कमी)
कारण मुझे नगर के ढांचे और अवसरों का विस्तार पसंद है, जो व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक हैं। मुझे ग्रामीण क्षेत्र की शांति, प्राकृतिक सौंदर्य और प्राकृतिक सौंदर्य पसंद है, जो मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
अंतिम राय नगर की भीड़ और चकाचौंध मुझे जीवंत बनाती है क्योंकि यह जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। ग्रामीण जीवन की सादगी और प्रकृति मुझे बहुत पसंद है। हालाँकि, आधुनिक सुविधाओं की कमी कई बार चुनौती बन जाती है।


प्रश्न 3. बगुला समाज के किस वर्ग का प्रतीक है और उनकी किन विशेषताओं को रेखांकित करता है? आज के समाज में यह उदाहरण कितना प्रासंगिक है?

उत्तर: 'चंद्र गहना से लौटती बेर' कविता में बगुला समाज के उन लोगों का प्रतीक है जो अपने लक्ष्य के प्रति अत्यधिक ध्यान केंद्रित और अवसरवादी होते हैं। यह उन विशेषताओं को रेखांकित करता है जहाँ व्यक्ति अपने हित साधने के लिए शांत और निष्क्रिय प्रतीत होता है, लेकिन जैसे ही अवसर मिलता है, वह पूरी एकाग्रता और फुर्ती से अपने लक्ष्य पर झपट पड़ता है। बगुला जल में बिना हिले-डुले धैर्यपूर्वक खड़ा रहता है, मानो वह ध्यानमग्न हो, पर जैसे ही कोई मछली आती है, वह तुरंत उसे पकड़ लेता है। यह उसका धैर्य, एकाग्रता और मौके का फायदा उठाने का गुण दर्शाता है।

आज के प्रतिस्पर्धा भरे और प्रगतिशील समाज में यह उदाहरण अत्यंत प्रासंगिक है।

 * सकारात्मक रूप से: यह विद्यार्थियों, खिलाड़ियों और पेशेवरों के लिए एक सीख है कि उन्हें अपने लक्ष्य पर अर्जुन की तरह एकाग्रचित्त रहना चाहिए। उन्हें सही समय और अवसर की पहचान करनी चाहिए और लक्ष्य प्राप्ति के लिए पूरी तरह से समर्पित रहना चाहिए। सफल होने के लिए धैर्यपूर्वक इंतजार करना और सही मौका मिलते ही पूरी ऊर्जा से कार्य करना आवश्यक है।

 * नकारात्मक रूप से: बगुला उन लोगों का भी प्रतीक हो सकता है जो बाहरी रूप से सीधे या शांत दिखते हैं, लेकिन अंदर से अपने स्वार्थों को साधने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। आज के अवसरवादी समाज में ऐसे लोग भी मौजूद हैं जो दूसरों को धोखा देने या अपने लाभ के लिए हेरफेर करने हेतु सही समय का इंतजार करते हैं।

इस प्रकार, बगुले का उदाहरण हमें लक्ष्य-प्राप्ति के लिए एकाग्रता और धैर्य के महत्व को सिखाता है, वहीं यह समाज में व्याप्त अवसरवादिता के एक पहलू को भी दर्शाता है।



भाषा के बारे में —


प्रश्न 1. प्रकृति का अनुराग - अंचल हिल रहा है, जो मानवीकरण का उदाहरण है। मानवीकरण अलंकार - जहाँ जड़ वस्तुओं या प्रकृति पर मानवीय चेष्टाओं का आरोप किया जाता है वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है। पाठ से मानवीकरण अलंकार के ऐसे ही अन्य उदाहरण लिखिए


उत्तर: मानवीकरण अलंकार वह अलंकार है जहाँ निर्जीव वस्तुओं, अमूर्त विचारों या प्राकृतिक तत्वों को सजीव प्राणियों की तरह व्यवहार करते या मानवीय क्रियाएँ करते हुए दिखाया जाता है। इसमें जड़ वस्तुओं पर मनुष्य के हाव-भाव, क्रियाकलापों या भावनाओं का आरोप किया जाता है।

'चंद्र गहना से लौटती बेर' कविता में मानवीकरण अलंकार के कई सुंदर उदाहरण देखने को मिलते हैं, जो इस प्रकार हैं:

 * "बाँधे मुरैठा शीश पर": यहाँ चने के पौधे को एक मनुष्य की तरह पगड़ी (मुरैठा) बाँधे हुए दिखाया गया है।

 * "छोटे कद का है, हरा ठिगना चना": चने को एक ठिगने (छोटे कद के) मनुष्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

 * "पास ही हरसी अलसी हठीली": अलसी के पौधे को एक 'हठीली' (जिद्दी) युवती के रूप में चित्रित किया गया है, जो मानवीय स्वभाव है।

 * "कंकड़-पत्थर, पत्थर उठकर... चुपचाप पड़ा है": पत्थरों को 'चुपचाप पड़ा' हुआ दिखाया गया है, जैसे कोई व्यक्ति लेटा हो।

 * "प्रेम की प्रिय भूमि उपजाऊ है": 'प्रेम' जैसे अमूर्त भाव को एक ऐसी भूमि के रूप में दर्शाया गया है जो उपज दे सकती है।

 * "एक चाँदी का बड़ा - सा गोल खम्बा आँख को है चकमकाता": यहाँ सूर्य के प्रतिबिंब को एक खंभे के रूप में दर्शाया गया है, जो मानवीय देखने की क्रिया से जुड़ा है।

 * "सुन पड़ता है वनस्पति का हृदय चीरता - गिरता सारस का स्वर": 'वनस्पति के हृदय' को चीरने की क्रिया मानवीय अनुभव से संबंधित है।


प्रश्न 2. पाठ में 'हरा ठिगना चना', 'हठीली अलसी', 'चतुर चिड़िया' आदि विशेषण युक्त शब्दों का प्रयोग किया गया है। इसी प्रकार आप अपने आस-पास के कुछ पौधों, पक्षियों, फलों, या जीव-जंतुओं को किस तरह के विशेषणों के साथ प्रस्तुत करना चाहेंगे? ऐसे उदाहरण दीजिए।

उत्तर: 'विशेषण युक्त' शब्द वे होते हैं जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। 'चंद्र गहना से लौटती बेर' कविता में कवि ने प्रकृति का सजीव चित्रण करने के लिए ऐसे विशेषणों का सुंदर प्रयोग किया है। इसी तरह हम भी अपने आस-पास की चीजों का वर्णन करने के लिए विशेषणों का प्रयोग कर सकते हैं।

यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं:

 * तेजस्वी सूर्य: सुबह का तेजस्वी सूर्य पूरे विश्व को प्रकाशित करता है।

 * मधुरभाषी कोयल: बाग में एक मधुरभाषी कोयल मधुर गीत गा रही थी।

 * भीड़भाड़ वाला बाज़ार: आज भीड़भाड़ वाला बाज़ार ग्राहकों से खचाखच भरा था।

 * विशाल वृक्ष: घर के आँगन में एक विशाल वृक्ष खड़ा है जो सबको छाया देता है



📘 अगला पाठ:

कक्षा 10 हिंदी – पाठ 1.2 – नर्मदा का उद्गम अमरकंटक (प्रश्न उत्तर सहित)




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