✍️ कक्षा 10 हिंदी (छत्तीसगढ़ बोर्ड)
पाठ 2.2 – जनतंत्र का जन्म (कविता)
लेखक – रामधारी सिंह ‘दिनकर’
---
📘 पाठ परिचय
यह कविता प्रसिद्ध राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित है। इसमें कवि ने लोकतंत्र (जनतंत्र) की उत्पत्ति को दर्शाया है कि यह कोई राजाओं की कृपा से नहीं जन्मा, बल्कि यह जनता की चेतना, विचार और संघर्ष का परिणाम है। कविता प्रेरणात्मक शैली में जनतंत्र की शक्ति, मूल्य और महत्व को उजागर करती है।
---
🔑 मुख्य बिंदु
1.जनतंत्र विचारों और संघर्षों से जन्म लेता है, उपहार स्वरूप नहीं मिलता।
2.यह जनता के आत्मसम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए होता है।
3.कविता में भावनात्मक और ओजपूर्ण भाषा का प्रयोग हुआ है।
4.यह कविता पाठकों को साहस, विचार और लोकतंत्र की भावना से जोड़ती है।
---
कक्षा 10 वी हिंदी — पाठ 2.2 : जनतंत्र का जन्म। पाठ का सार, प्रश्न उत्तर
प्रश्न:1. "अभिषेक आज राजा का नहीं प्रजा का है" यह किस अवसर के लिए कहा गया है?
उत्तर: यह कथन भारत में गणतंत्र की स्थापना के अवसर के लिए कहा गया है। इसका अर्थ है कि अब देश पर शासन करने की शक्ति किसी राजा के हाथ में नहीं है, बल्कि जनता (प्रजा) स्वयं अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करके अपने देश का संचालन करती है। यह हमारे देश के संविधान लागू होने और भारत के एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनने का प्रतीक है।
प्रश्न 2. जब जनता की भौंहें क्रोध में तन जाती हैं तो क्या - क्या होता है?
उत्तर: जब जनता की भौंहें क्रोध में तन जाती हैं, तो इसका अर्थ है कि वे अन्याय और शोषण के विरुद्ध एकजुट होकर आवाज़ उठा रहे हैं। ऐसे में निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं:
* बड़ा परिवर्तन आता है: समाज और शासन व्यवस्था में बड़े और आवश्यक बदलाव होते हैं।
* सत्ता में बैठे शासकों का पतन होता है: अत्याचारी शासकों को अपना पद छोड़ना पड़ता है या उनकी शक्ति समाप्त हो जाती है।
* जनता की शक्ति स्थापित होती है: यह जनता की सामूहिक शक्ति का प्रदर्शन है, जिसके परिणामस्वरूप जनतंत्र (लोगों का शासन) स्थापित होता है।
यह जनता के प्रतिरोध और क्रांति का प्रतीक है, जिससे न्यायपूर्ण व्यवस्था की स्थापना होती है।
प्रश्न 3. बदली हुई परिस्थितियों में अब राजदंड किसे बनाया जाएगा और क्यों?
उत्तर: बदली हुई परिस्थितियों में अब राजदंड मेहनत करने वाले मजदूरों के श्रम (मेहनत) और उनके काम करने वाले औजारों को बनाया जाएगा, जैसे कि फावड़ा और हल।
* क्यों? क्योंकि अब देश की असली ताकत और सुंदरता राजाओं के सोने-चाँदी या चमक-धमक में नहीं है।
* अब देश का विकास और तरक्की किसानों और मजदूरों की कड़ी मेहनत से होगी।
* जो लोग खेतों में काम करते हैं, कारखानों में पसीना बहाते हैं, और देश को बनाते हैं, वही अब सबसे महत्वपूर्ण हैं।
* कवि यह कहना चाहते हैं कि अब राजा का समय खत्म हो गया है और जनता का शासन (जनतंत्र) आ गया है। इसलिए अब सिंहासन पर राजा नहीं, बल्कि मेहनतकश लोगों की पहचान और उनके औजारों का सम्मान होगा।
यह दिखाता है कि अब समाज में सबसे ऊपर मेहनती लोग हैं, जो अपने परिश्रम से देश को आगे बढ़ाते हैं।
प्रश्न 4. जनता की सहनशीलता के कवि ने क्या - क्या उदाहरण दिए हैं?
उत्तर: कवि ने जनता की सहनशीलता (सब्र) के कई उदाहरण दिए हैं, जिससे पता चलता है कि जनता कितनी धैर्यवान होती है:
* भोली-भाली मिट्टी जैसी: कवि कहते हैं कि जनता भोली-भाली मिट्टी की तरह होती है, जो सब कुछ सह लेती है। जैसे मिट्टी पर बारिश, धूप, सब कुछ पड़ता है, फिर भी वह चुपचाप सब सहती है।
* अत्याचार सहना और चुप रहना: जनता ने ब्रिटिश शासकों के बहुत सारे अत्याचार (जुल्म) चुपचाप सहे। उन्होंने इतनी तकलीफें झेलीं, लेकिन फिर भी अपने मुँह से शिकायत नहीं की।
* ज़हरीले साँप का डसना सहना: कवि ने कहा है कि ब्रिटिश शासक जनता को ऐसे डस रहे थे जैसे कोई ज़हरीला साँप डसता है, लेकिन फिर भी जनता उस पीड़ा को हँसकर सहती रही।
कवि इन उदाहरणों से समझाते हैं कि जनता बहुत समय तक सब कुछ सहती रहती है। लेकिन अब वह सहने के बजाय अपनी बात खुलकर कह रही है और जनतंत्र (अपने शासन) की माँग कर रही है।
प्रश्न 5. कवि ने गिट्टी तोड़ने वालों और खेतों में काम करने वालों को देवता क्यों कहा है?
उत्तर: कवि ने गिट्टी तोड़ने वालों और खेतों में काम करने वाले मजदूरों को देवता इसलिए कहा है क्योंकि:
* वे ही असली निर्माता हैं: कवि कहते हैं कि जिन भगवान या ईश्वर को हम मंदिरों या महलों में ढूंढते हैं, वे वास्तव में हमारे मजदूर भाई-बहन हैं। वे सड़कों पर पत्थर तोड़ते हैं और खेतों में कड़ी मेहनत करते हैं, जिससे हमारे देश का निर्माण होता है।
* भाग्यविधाता और पूजनीय: वे अपनी मेहनत से धरती को सींचते हैं और हमारे लिए अन्न पैदा करते हैं। वे ही हमारे भाग्य को बनाने वाले और हमारे असली पूजनीय हैं, क्योंकि उनका परिश्रम ही हमें जीवन और प्रगति देता है।
प्रश्न 6. कवि ने जनता के लिए सिंहासन खाली कर देने के लिए क्यों कहा है?
उत्तर: कवि ने जनता के लिए सिंहासन खाली कर देने के लिए इसलिए कहा है क्योंकि:
* राजतंत्र का अंत हो रहा है: अब राजाओं का शासन (राजतंत्र) खत्म हो रहा है।
* गणतंत्र की स्थापना हो रही है: इसके स्थान पर अब जनता का शासन (गणतंत्र) स्थापित होने वाला है।
* जनता अपना शासक चुनेगी: अब देश की शोभा राजाओं के धन-दौलत से नहीं, बल्कि मेहनतकश लोगों के परिश्रम से बढ़ेगी, और जनता स्वयं अपने शासक का चुनाव करेगी।
इसलिए, कवि ने शासकों से कहा है कि वे अब अपना पद छोड़ दें, क्योंकि अब असली सत्ता जनता के हाथ में आ गई है।
प्रश्न 7. जगत का सबसे विराट जनतंत्र किसे कहा गया है?
उत्तर: जगत का सबसे विराट (सबसे बड़ा और महान) जनतंत्र भारत के जनतंत्र को कहा गया है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि:
* गणतंत्र की स्थापना: भारत में सच्चे गणतंत्र की स्थापना हो चुकी है, जहाँ अब जनता का शासन है।
* करोड़ों लोगों का सपना: हमारे देश की तैंतीस करोड़ (यानी बहुत बड़ी संख्या में) जनता अपने सपनों को पूरा करने वाली है, क्योंकि अब उन्हें अपनी सरकार चुनने का अधिकार मिल गया है।
* विविधता में एकता: भारत एक ऐसा देश है जहाँ अलग-अलग धर्मों और संप्रदायों के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं और सब गणतंत्र को मानते हैं।
यही कारण है कि भारत का जनतंत्र पूरे विश्व में सबसे बड़ा और महान माना गया है।
पाठ से आगे —
प्रश्न 1. 'अंग - अंग में लगे साँप हो चूस रहे' पंक्ति में जनता के किस प्रकार के शोषण की ओर संकेत किया गया है? आपके मत में यह शोषण किन - किन के द्वारा होता रहा होगा?
उत्तर: इस पंक्ति 'अंग - अंग में लगे साँप हो चूस रहे' के माध्यम से कवि जनता के शारीरिक और आर्थिक शोषण की ओर संकेत कर रहे हैं।
यहाँ 'साँप' उन शोषक तत्वों का प्रतीक है जो धीरे-धीरे और लगातार जनता को भीतर से कमजोर कर रहे थे। यह शोषण मुख्य रूप से इन लोगों द्वारा किया जा रहा होगा:
* ब्रिटिश शासकों द्वारा: अंग्रेज़ सरकार भारत की जनता पर तरह-तरह के अत्याचार कर रही थी, उनसे ज़बरदस्ती काम करवाती थी और उनका धन लूटती थी।
* ज़मींदारों और सामंतों द्वारा: बड़े-बड़े ज़मींदार और अमीर लोग किसानों और गरीबों से बहुत ज़्यादा लगान वसूलते थे और उन्हें अपने हिसाब से काम करने पर मजबूर करते थे, जिससे वे कभी गरीबी से बाहर नहीं निकल पाते थे।
* पूंजीपतियों और साहूकारों द्वारा: जो अमीर व्यापारी या पैसे उधार देने वाले लोग थे, वे मजदूरों को बहुत कम मजदूरी देते थे और गरीब लोगों को ऊँची ब्याज दरों पर कर्ज देकर उन्हें और गरीब बनाते थे।
कवि बताना चाहते हैं कि जनता ने इस शोषण की पीड़ा को बहुत लंबे समय तक चुपचाप सहा, लेकिन अब वे चुप नहीं रहेंगे और अपने अधिकारों (जनतंत्र) की माँग कर रहे हैं।
प्रश्न 2. (क) किसी भी लोकतांत्रिक देश में नागरिकों का जागरूक होना क्यों आवश्यक है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर: किसी भी लोकतांत्रिक देश में नागरिकों का जागरूक (यानी जानकारी रखने वाला और समझने वाला) और संगठित होना बहुत ही ज़रूरी है।
संगठित जनता के महत्व को बताते हुए कवि कहते हैं कि जनता को हमेशा एकजुट और संगठित रहना चाहिए, क्योंकि संगठित जनता ही समय की धारा को भी बदल देती है।
यह इसलिए आवश्यक है क्योंकि:
* सही सरकार चुनना: जागरूक और संगठित नागरिक ही सोच-समझकर सही नेताओं और पार्टियों को वोट देते हैं जो देश के लिए अच्छा काम करें।
* सरकार पर नियंत्रण: जब जनता जागरूक और संगठित होती है, तो वे सरकार के कामों पर कड़ी नज़र रख सकती है और उन्हें जवाबदेह बना सकती है।
* अपने अधिकारों की रक्षा: जागरूक नागरिकों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों की पूरी जानकारी होती है, जिससे वे अपने हक के लिए खड़े हो सकते हैं।
* देश का विकास: जब नागरिक जागरूक और संगठित होते हैं, तो वे समाज की समस्याओं को समझते हैं और उन्हें हल करने में मदद करते हैं, जिससे देश लगातार तरक्की करता है।
प्रश्न 2. (ख) आपके गाँव/मोहल्ले में किस - किस तरह की चेतना जगाने की ज़रूरत है? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर: गाँव/मोहल्ले में नागरिकों को जागरूक करने के लिए इन मुख्य बातों पर चेतना जगाने की ज़रूरत है, क्योंकि जनता ही जनतंत्र की सबसे बड़ी शक्ति है:
* शिक्षा का महत्व: सभी बच्चों को स्कूल भेजने और अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना। (उदाहरण: 'पढ़ाई का अधिकार' सबको मिले, कोई भी बच्चा स्कूल जाने से न छूटे।)
* न्याय और समानता: सबको न्याय की प्रक्रिया में समान अवसर मिले, और किसी के साथ जाति, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव न हो। (उदाहरण: सबको बराबर का सम्मान मिले और सबकी बात सुनी जाए।)
* अधिकार और कर्तव्य: लोगों को उनके वोट डालने के अधिकार, सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के अधिकार, और अपने कर्तव्यों (जैसे साफ-सफाई रखना, नियमों का पालन करना) के बारे में उचित जानकारी प्रदान करना। (उदाहरण: अपने वोट का इस्तेमाल करें और अपने आसपास को स्वच्छ रखें।)
* पर्यावरण संरक्षण: अपने पर्यावरण को साफ रखने, पेड़ लगाने और पानी बचाने के महत्व को समझाना। (उदाहरण: प्लास्टिक का उपयोग कम करें और पानी बर्बाद न करें।)
प्रश्न (ग) इसे जागरूक करने के लिए क्या - क्या प्रयास करने होंगे?
उत्तर: जनता ही किसी भी जनतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण शक्ति है, इसलिए उसे और अधिक मज़बूत और जागरूक करने के लिए ये खास प्रयास किए जाने चाहिए:
* न्याय और अन्याय का अंतर समझाना: लोगों को सिखाना चाहिए कि क्या सही है और क्या गलत, ताकि वे अपने साथ होने वाले अन्याय को पहचान सकें और उसके खिलाफ आवाज़ उठा सकें।
* अधिकारों के प्रति जागरूक करना: हर नागरिक को उसके मौलिक अधिकारों (जैसे बोलने की आज़ादी, शिक्षा का अधिकार) के बारे में पूरी जानकारी देनी चाहिए ताकि वे अपने हकों का सही इस्तेमाल कर सकें।
* बुरी आदतों से दूर रखना: लोगों को रिश्वतखोरी, लालच, भ्रष्टाचार और ऐसे ही दूसरे प्रलोभनों (लुभावनी चीज़ों) से दूर रहने के लिए प्रेरित करना चाहिए, ताकि समाज साफ-सुथरा बना रहे।
* समान शिक्षा का अधिकार दिलाना: हर बच्चे को, चाहे वह अमीर हो या गरीब, समान और अच्छी शिक्षा मिलने का पूरा अधिकार मिलना चाहिए, ताकि कोई भी पीछे न रहे।
* कानूनों का पालन सिखाना: लोगों को कानूनों का सम्मान करने और उनका पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे समाज में शांति और व्यवस्था बनी रहे।
* लोकतंत्र में शांति बनाए रखना: यह सिखाना चाहिए कि लोकतंत्र में अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन यह शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। लड़ाई-झगड़े से दूर रहकर ही लोकतंत्र मजबूत होता है।
भाषा के बारे में —
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के क्या अर्थ हैं? इन्हें ध्यान से पढ़कर उनके अर्थ लिखिए। आप इसमें शब्दकोश की भी मदद ले सकते हैं?
शब्दों के अर्थ:
* नाद: आवाज़ या ध्वनि। (जैसे किसी घंटी की आवाज़ या पानी की कलकल।)
* गूढ़: गहरा और रहस्यमयी, जिसे समझना मुश्किल हो। (जैसे कोई गहरी पहेली।)
* भृकुटि: भौंहें या भौंहों का तनना/सिकुड़ना। (जब कोई गुस्से में या सोच में अपनी भौंहें चढ़ा लेता है।)
* बवंडर: हवा का तेज़ी से घूमता हुआ चक्रवात या तूफान। (जैसे गोल-गोल घूमती धूल भरी आंधी।)
* अब्द: बादल। (आसमान में दिखने वाले पानी से भरे बादल।)
* गवाक्ष: खिड़की। (घर में हवा और रोशनी आने के लिए बनी जगह।)
* तिमिर: अँधेरा या अंधकार। (जब रात में बिल्कुल रोशनी न हो।)
* अम्बर: आकाश या आसमान। (ऊपर नीला दिखने वाला आसमान।)
* प्रासाद: महल या बड़ा भवन। (राजा-रानी का बड़ा और सुंदर घर।)
* धूसरता: धुंधलापन या हल्के भूरे रंग
प्रश्न 2. नीचे दिए गए मुहावरों के अर्थ और वाक्यों में प्रयोग इस प्रकार हैं:
(क) ठंडी बुझी राख का सुगबुगाना।
* अर्थ: पुरानी शत्रुता या समस्या का फिर से उभरना, या शांत दिख रहे किसी विवाद का फिर से भड़कना।
* वाक्य प्रयोग: "मुझे लगा कि हमारे बीच के सारे मतभेद खत्म हो गए हैं, पर तुम्हारी यह बात सुनकर तो ठंडी बुझी राख फिर से सुगबुगा उठी है।"
(ख) भृकुटी चढ़ाना।
* अर्थ: गुस्सा करना, क्रोधित होना, या नाराज़गी व्यक्त करना।
* वाक्य प्रयोग: "जब शिक्षक ने बच्चे को शरारत करते देखा तो उनकी भृकुटी चढ़ गई।"
(ग) हवा में ताज़ उड़ना।
* अर्थ: किसी का बहुत अधिक अपमान होना, प्रतिष्ठा या सम्मान का पूरी तरह नष्ट हो जाना।
* वाक्य प्रयोग: "भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद नेताजी का हवा में ताज़ उड़ गया।"
(घ) सिर पर मुकुट धरना।
* अर्थ: किसी को सर्वोच्च पद पर बिठाना, किसी को सम्मानित करना या किसी को राजा बनाना।
* वाक्य प्रयोग: "जनता ने अपने प्रिय नेता के सिर पर मुकुट धरकर उसे राज्य का मुख्यमंत्री बनाया।"
(ङ) आरती लिए ढूँढ़ना।
* अर्थ: किसी को बहुत बेसब्री से खोजना, किसी की प्रतीक्षा में बहुत व्याकुल होना, या किसी को बहुत सम्मान के साथ आमंत्रित करना।
* वाक्य प्रयोग: "जब से मेरा बेटा विदेश गया है, उसकी माँ उसे आरती लिए ढूँढ़ती रहती है।"
(च) सिंहासन खाली करना।
* अर्थ: अपना पद छोड़ना, सत्ता से हटना, या किसी को अपने स्थान पर आने देना।
* वाक्य प्रयोग: "राजा ने अपने बेटे के लिए सिंहासन खाली करने का फैसला किया।"
प्रश्न 3.दिए गए शब्दों के विलोम शब्द इस प्रकार हैं:
(क) वेदना
* विलोम: आनंद / प्रसन्नता / सुख
(ख) सीमित
* विलोम: असीमित / विस्तृत / व्यापक
(ग) तिमिर
* विलोम: प्रकाश / आलोक
(घ) प्रासाद
* विलोम: कुटीर / झोपड़ी
योग्यता विस्तार —
प्रश्न 1. रामधारी सिंह दिनकर की कुछ अन्य रचनाएं खोजकर पढ़िए।
उत्तर: रामधारी सिंह 'दिनकर' हिंदी साहित्य के एक महान कवि और लेखक थे। उनकी कुछ प्रमुख और प्रसिद्ध रचनाएँ निम्नलिखित हैं जिन्हें आप खोजकर पढ़ सकते हैं:
* रश्मिरथी: यह उनकी सबसे प्रसिद्ध खंडकाव्यों में से एक है, जिसमें कर्ण के जीवन पर आधारित है।
* कुरुक्षेत्र: यह महाभारत के युद्ध के बाद की पृष्ठभूमि पर आधारित एक दार्शनिक काव्य है, जिसमें युद्ध के कारणों और परिणामों पर चिंतन किया गया है।
* उर्वशी: यह एक काव्य नाटक है जिसके लिए उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
* हुंकार: यह उनकी प्रारंभिक और ओजस्वी कविताओं का संग्रह है।
* रेणुका: यह भी उनकी प्रारंभिक कविताओं का एक महत्वपूर्ण संग्रह है।
* परशुराम की प्रतीक्षा: यह एक वीर रस प्रधान काव्य है।
* संस्कृति के चार अध्याय: यह एक गद्य रचना है जिसमें भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया है। इसके लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।
प्रश्न 2. जनतंत्र का जन्म "ओज " गुण की कविता है ओज वीर रस का ही गुण है वीर रस की कोई अन्य कविता ढूंढकर कक्षा में उसका वाचन कीजिए
उत्तर: यहाँ वीर रस की एक अन्य प्रसिद्ध कविता है, जिसे आप कक्षा में वाचन के लिए चुन सकते हैं:
कविता: झाँसी की रानी
कवयित्री: सुभद्रा कुमारी चौहान
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
कानपुर के नाना की मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।
वीर शिवाजी की गाथाएँ उसको याद ज़ुबानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
यह कविता झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य और बलिदान का वर्णन करती है, जो वीर रस का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसे पढ़ने से जोश और देशभक्ति की भावना उत्पन्न होती है।
प्रश्न 3. इन कवियों के बारे में बताइए कि ये मुख्यतः किस रस की कविता के लिए जाने जाते हैं। इस हेतु पुस्तकालय एवं अपने शिक्षक की सहायता लीजिए।
(क) सूरदास
(ख) कबीरदास
(ग) विद्यापति
(घ) काका हाथरसी
(ङ) भूषण
उत्तर: चलिए इन कवियों के बारे में जानते हैं कि वे मुख्य रूप से किस रस की कविताओं के लिए जाने जाते हैं:
(क) सूरदास
* मुख्य रस: वात्सल्य रस और श्रृंगार रस (संयोग)। सूरदास जी भगवान कृष्ण के बाल-रूप का इतना अनुपम और सजीव वर्णन करते हैं कि उन्हें वात्सल्य रस का सम्राट कहा जाता है। इसके अलावा, उन्होंने कृष्ण और राधा के प्रेम (संयोग श्रृंगार) का भी अद्भुत चित्रण किया है।
(ख) कबीरदास
* मुख्य रस: शांत रस। कबीरदास जी निर्गुण भक्ति धारा के प्रमुख संत कवि थे। उनकी रचनाओं में वैराग्य, ईश्वर के प्रति अगाध प्रेम, संसार की नश्वरता, और आडंबरों का खंडन मिलता है, जो मुख्य रूप से शांत रस की अभिव्यक्ति करते हैं। यद्यपि कहीं-कहीं उन्होंने पाखंडियों पर तीखे प्रहार किए हैं, जिनमें रौद्र या भयानक रस की झलक भी मिलती है, पर उनका मूल स्वर शांत रस का ही है।
(ग) विद्यापति
* मुख्य रस: श्रृंगार रस। विद्यापति को 'मैथिल कोकिल' के नाम से जाना जाता है। वे मुख्य रूप से राधा-कृष्ण के प्रेम पर आधारित पदों की रचना के लिए प्रसिद्ध हैं, जिनमें श्रृंगार रस (विशेषकर संयोग श्रृंगार) की प्रधानता है। उनकी कविताएं प्रेम और सौंदर्य के मधुर चित्रण के लिए जानी जाती हैं।
(घ) काका हाथरसी
* मुख्य रस: हास्य रस। काका हाथरसी हिंदी साहित्य के एक महान हास्य कवि और व्यंग्यकार थे। वे अपनी हास्य-व्यंग्य कविताओं के लिए प्रसिद्ध हैं, जिनमें सामाजिक विसंगतियों और विडंबनाओं पर कटाक्ष किया जाता था।
(ङ) भूषण
* मुख्य रस: वीर रस। भूषण रीतिकाल के एकमात्र ऐसे कवि थे जिन्होंने श्रृंगार रस की प्रधानता वाले युग में वीर रस की कविताएँ लिखीं। वे छत्रपति शिवाजी महाराज और महाराज छत्रसाल के दरबारी कवि थे और उन्होंने अपनी कविताओं में इन वीरों की वीरता, शौर्य और पराक्रम का ओजपूर्ण वर्णन किया है।
कक्षा 10 हिंदी – पाठ 2.1 : मैं मज़दूर हूं | पाठ का सार, प्रश्न उत्तर